Poonam Mishra 02 Jun 2023 कहानियाँ समाजिक पत्नी ने जीवन के अंतिम समय में मेरा बहुत साथ निभाया 4934 0 Hindi :: हिंदी
आज काफी दिनों के बाद ,,मेरे बेटे का फोन आया ,जो कि अमेरिका में रहकर जॉब करता है। उसने फोन पर कहा कि "पापा मैं कुछ दिन के लिए वाराणसी आ रहा हूं " आपके साथ रहूंगा ! वैसे भी आप अकेले ही रहते हैं। वहां पर "मैंने तो आपसे कितनी बार कहा आप भी हम लोगों के साथ आकर अमेरिका में सेटल हो जाइए "मगर आप सुनते नहीं हैं ,पापा लेकिन इस बार आप सोच लीजिए आपको मेरे साथ आना ही पड़ेगा । आपके वहां अकेले रहने से हम लोगों को यहां बड़ी चिंता होती है? आपकी !पता नहीं आप कैसे होंगे ? इस बार मैंने और तनु ने यह निर्णय किया है कि आपको अमेरिका लेकर ही आएंगे !! "कल की फ्लाइट से मैं आ रहा हूं" इतना कहने के बाद राज ने फोन काट दिया। फोन रख कर मैं बैठे-बैठे सोचने ,लगा पूनम के जाने के बाद मैं एकदम अकेला रह गया हूं ।ठीक ही तो कह रहा है यहां मैं अकेले ही रहता हूं ।बेटा बहू मेरा बहुत ख्याल रखते हैं। सोच रहा हूं जिंदगी के जितने दिन बचे हैं वह पोता पोती बेटा बहू के साथ गुजार दूं !! फिर मैं छड़ी उठा कर बाहर टहलने जाने का कोशिश करने लगा तभी मेरी खाना बनाने वाली मेड आ गई ।मैंने सोचा इसे बता दूं कल राज आने वाला है अच्छा अच्छा खाना बनाएगी ।राज को खीर बहुत पसंद है ,मैंने उसको इसकी जानकारी दी फिर मैं बाहर टहलने चला गया ।वापस आया तो अपने हाल में बैठा सामने नजर उठाई तो देखा, मेरे माता-पिता मेरी पत्नी की तस्वीर टंगी हुई है ,तीनों की मृत्यु हो चुकी है मैं, अकेला यहां वाराणसी शहर में रहता हूं ।पता नहीं क्यों? बैठे-बैठे अतीत के झरोखों में खो गया सोचने लगा ,,,, मेरी माता-पिता ने भी मेरे लिए बहुत त्याग किया । पिता मेरे किसान थे । मैं ,और एक मेरा छोटा भाई, छोटू ,अभी भी गांव में रहता है ।वह थोड़ा सा सीधा है लोग उसे पागल कहते हैं मगर वह पागल नहीं है ।बस दुनियादारी की समझ नहीं है। उसे ,वह मुझे बहुत प्यार करता है ।माता-पिता जिंदा थे तब तक हमेशा मुझसे कहते रहते थे छोटू का ध्यान रखना ।वह बहुत सीधा है क्योंकि वह पढ़ने में भी कमजोर था ।मैं अपनी कक्षा में प्रथम आता था इसी कारण मैंने अपने जीवन की हर परीक्षा में पास होते हैं वे जीवन में आगे बढ़ता चला गया । मुझे आज भी याद है जब मेरा सिलेक्शन हुआ था तब मेरी माँ कितनी खुश थी पूरे गांव के लोगों को बुलाकर उसने सत नारायण भगवान की कथा सुनी ।सब को खिलाया पिलाया घर में कढ़ी, भात , बारा ,पूरी सब्जी , पकवान बनाएं और बहुत खुश थी। उसने कहा कि "आज मेरा बेटा रमेश अधिकारी हो गया है "उसने पूरे गांव में सब को बताया ,। जब मैं शहर में अपनी जॉब करने आने लगा तो मेरी माँ ने रोते हुए मुझसे कहा था बेटा !!कितने भी बड़े हो जाओ ,इस बात का हमेशा ख्याल रखना तुम्हारा भाई छोटू थोड़ा सीधा है । उसे दुनियादारी की समझ नहीं है उसका ध्यान रखना!! छोटू जो कि मुझे बहुत प्यार करता था ।वह मेरे गले लग जाता था बार-बार कहता था" मेरा भाई अधिकारी हो गया है "अब मुझे किस बात की चिंता ?मैं भी हंसकर टाल देता था । और कहता था "हां ,हां तुम्हारा भाई अधिकारी हो गया है ।तुम खुद भी अधिकारी हो !!!मैं भी उसे उतना ही प्यार करता हूं। जितना कि छोटू मुझ पर विश्वास करता है । वह सब से कहता था मेरा भाई है! तो मुझे किस बात की चिंता है; माता-पिता ने भी मुझे हमेशा उसका ध्यान रखने की हिदायत देते रहते थे ।कुछ समय पश्चात मेरे जीवन में मेरी जीवनसंगिनी बनकर पूनम आई जितना खूबसूरत नाम उतनी ही ममता मई थी वह उसने मेरे हर दु:ख सु:ख को अपना समझा मेरे माता-पिता मेरे भाई को मेरे जितना ही प्यार दिया सम्मान दिया कभी-कभी वह मेरा छोटू के प्रति अत्यधिक प्रेम होना । उसे अच्छा नहीं लगता था तो वह बोल देती थी छोटू अब बड़ा हो गया है अब उसकी शादी भी हो गई है अब आप उसकी इतनी चिंता क्यों करते हैं ?उसकी चिंता करने के लिए उसकी बीवी है ना!!! जब तक पूनम थी मुझे इन रिश्तो के प्रति कोई चिंता नहीं रही वही पूरा संभालती थी ।मेरे माता-पिता छोटू और छोटू के परिवार का पूरा ध्यान रखती थी। मेरा कभी ध्यान ही नहीं गया छोटू की तरफ क्योंकि वही सब कुछ देखती थी। पता नहीं उसकी मृत्यु के बाद मैं बिल्कुल अकेला सा हो गया मेरा कहीं आने जाने या किसी से किसी प्रकार का संबंध रखने का मन नहीं करता था। मैं इस घर में अकेला पूनम की यादों के सहारे रहता हूं ।छोटू की पत्नी भी गांव की सीधी साधी लड़की थी गांव के कई लोगों ने मना भी किया कि छोटू इतना सीधा है ।तो आप उसकी शादी ना करें परंतु मैं अपनी पत्नी के साथ शहर आ गया तो माता-पिता के पास भी किसी का होना जरूरी था। छोटू पिता के साथ खेती बाड़ी करता था और अपने परिवार के साथ गांव में ही रहता था धीरे-धीरे समय का चक्र बढ़ता गया आज मेरे माता पिता की मृत्यु हो चुकी है ।छोटू गांव में ही अपने परिवार के साथ रहता है और खेती बाड़ी करता है मेरी पत्नी को भी गुजरे करीब 6 वर्ष र्हो चुके हैं । लेकिन पता नहीं क्यों पूनम के जाने के बाद अब ना मेरा दिल करता है किसी से मिलने का कहीं जाने का घर में ही पड़ा रहता हूं ।अतीत की यादों के सहारे आज राज के फोन से मन पता नहीं क्यों? विचलित हो गया !!एक तरफ खुशी भी है ,कि मेरा बेटा बहू वापस आ रहे हैं ।एक तरफ उनसे मिलने की खुशी भी है ,,, एक तरफ मन में एक उलझन सी भी है ,,,,,,कि वह मुझे अपने साथ अमेरिका ले जाना चाहते हैं । मैं सोचने लगा इतना बड़ा घर खेती-बाड़ी सब छोड़कर मैं अमेरिका जा कर क्यों ,?सेटल हाऊगा ,,,इस उम्र में आने दो !!मैं सामने से बात करता हूं ,,,अमेरिका जाने के विषय में,, उसके आने के बाद ही विचार विमर्श करेंगे ! सुबह तड़के ही मैंने देखा कि मेरे बेटा बहू आ गए हैं ।दो पोते छोटे-छोटे जिन्हें देखकर मैं बहुत खुश हो गया बच्चों और परिवार के बीच में रहकर खुशी तो मिलती है ।मुझे भी बहुत खुशी हुई पता नहीं 10 ,15 ,दिन कैसे गुजर गए पता ही नहीं चला ।राज मुझे भी अमेरिका ले जाने की जिद कर रहा है ,,,इसमें कोई दो राय नहीं है कि मेरे बेटा बहू मेरा बहुत ख्याल रखते हैं ,,,,यह पूनम के संस्कार ही है !वह मुझे बहुत मानता है! आज राज ने मुझसे कहा "पापा आप यह घर निकाल दीजिए "अब इस घर में रहने का कोई मतलब नहीं है मम्मी नहीं है आप अकेले यहां रहते हैं आप चाहे तो सिगरा वाला घर छोड़ दीजिए" बाकी जो जमीन है उन सब को निकाल दीजिए "पापा क्या मतलब है !मैं बाहर रहता हूं यहां कभी आऊंगा नहीं --मेरे दो छोटे बच्चे वही अमेरिका में पढ़ते हैं" आखिर इतना जगह जगह आप ने फैलाया है इसका क्या मतलब है !!पापा मैं तो आपसे कहूंगा गांव जा कर के आप अपने हिस्से की जमीन बेच दीजिए !कितना दिन छोटू चाचा को आप देते रहेंगे ।और गांव पर जो आपके जमीन का हिस्सा है ,,उसे भी आप बेच दीजिए।और हम लोग वापस निकल चलते हैं पापा एक हफ्ते बाद मेरी फ्लाइट है ।आपका भी टिकट है आप गांव जाइए अपने हिस्से की जमीन बेच आइए,,, प्लीज पापा ,,,और यहां का मैं सब देख लूंगा !इतना कहकर राज गाड़ी लेकर बाहर चला गया! मैं सोचने पर मजबूर हो गया क्या करूं ?मैं उम्र के इस अवस्था पर अगर बेटा बहू की बात नहीं मानता तो कहां जाऊंगा !मैं एकदम अकेला हूं !न जाने क्यों? मन में तरह-तरह के ख्याल आने लगे ,,फिर मैंने सोचा रहना तो इन बच्चों के साथ ही है ,,,ठीक है मैं कल ही जाता हूं गांव जाकर जो बन पड़ता है वह करता हूं ।नहीं करूंगा तो राज मेरे पीछे पड़ा रहेगा ,राज इकलौती संतान होने की वजह से थोड़ा जिद्दी भी है! अगर वह गांव जाएगा तो छोटू के साथ पता नहीं किस तरह का व्यवहार करेगा,,, मुझे अपने भाई की फिक्र होने लगी मेरे मन में न जाने क्यों ?तरह-तरह के सवाल आने लगे ? कितना भी है तो छोटू मेरा भाई है !मैं जाता हूं दूसरे दिन में ट्रेन पकड़कर अपने गांव गाजीपुर "के लिए खाना हो गया। ट्रेन में बैठा न जाने क्यों ?अतीत के झरोखों में फिर से डूब गया मुझे बार-बार अपने छोटे भाई का चेहरा याद आ रहा था ।कैसे वह दौड़ कि मेरे गले लग जाता है !!कैसे वह मुझ पर इतना विश्वास करता है ।जब तक मेरी पत्नी थी उसके परिवार को मान सम्मान देती थी ।जितना बन पड़ता था छोटू छोटू के बच्चे उसकी पत्नी के लिए कुछ ना कुछ करती रहती थी मुझे यह देखकर अच्छा लगता था । आज मैं क्या करने के लिए गांव जा रहा हूं ?कई वर्षों के पश्चात में जा रहा था जब मैं गांव पहुंचता हूं देखता हूं सब कुछ पहले जैसा ही है चारों तरफ हरियाली है ।तभी रास्ते से भगवान चाचा आ रहे होते हैं वह बोलते हैं "कैसे हो बेटा"" ठीक हो "गांव के बड़े बुजुर्ग जो मुझे पहचानते थे उन्होंने मेरा हाल चाल पूछा। आगे बढ़ने के साथ ही लोगों में यह खबर फैल गई थी। इतने सालों के बाद आया है! अपना जमीन बेचने ! शायद गांव के लोगों को इसकी सूचना मिल गई ! भाई की कितनी हालत खराब है! देखो! मगर भाई ,भाई किसी के नहीं होते हैं !आया है ,?तो शायद? उसकी कुछ स्थिति संभल जाए!! मैं घर पहुंचता हूं मुझे देखकर छोटू की पत्नी बहुत खुश होती है। आकर मेरा चरण स्पर्श करती है उसके बच्चे दौड़ कर मेरे गले लग जाते हैं छोटू की तबीयत ठीक नहीं है ! वह धीरे-धीरे उठकर मेरे पास आता है !! और अपनी पत्नी की तरफ देख कर कहता है "मैं न कहता था भैया जरूर आएंगे"" मेरी तबीयत इतनी खराब है ,,,,मेरी स्थिति इतनी खराब है---- भैया को सब पता चल जाता है -----बिना मेरे कहे हि ,,,मेरा भाई मेरे बारे में सब कुछ जान जाता है । और यह कह कर वह मेरे गले लग गया। मैंने उसके पीठ पर हाथ रखा और मैं आगंन में बैठ गया। चारपाई पर , कुछ देर में उसकी पत्नी मेरे लिए चाय पानी लेकर आती है । मैं चाय पानी करके बैठ जाता हूं। फिर न जाने क्या सोचते हूअ छड़ी लेकर बाहर निकल जाता हूं। अपना खेत देखने कहां से कहां तक मेरा खेत है। कितना मेरे हिस्से का है कितना छोटू के हिस्से में है मैं बाहर निकल जाता हूं। चलते चलते मैं गांव के एक छोर से दूसरे छोर पर निकल जाता हूं पता नहीं क्यों मन में इतना शोर हो रहा है !!!पता नहीं क्यों ?मन इतना बेचैन है !!मन में इतनी हलचल क्यों है ??यह सोचते सोचते काफी दूर तक मैं चलता चला जाता हूं !!फिर वापस जब मैं थक जाता हूं वापस लौट के अपने घर आ जाता हूं ! घर पर आ करके मैं बाहर उसी खाट पर सो जाता हूं ।जहां मैं पहले सोया करता था। जब मेरे माता-पिता जिंदा थे ।तो। हम सब एक साथ उसी आंगन में सोते थे मैं खाना खाकर सो जाता हूं ,मुझे न जाने क्यों ?नींद नहीं आती है रात भर जरा सी भी आख! लगती तभी मेरी माँ मुझे सपने में दिखाई देती! कहती "बेटा छोटू का ख्याल रखना "कभी पापा आ जाते !बेटा छोटू का ख्याल रखना" तुम्हारे भरोसे ही हम लोग छोड़ कर आए हैं ! बार-बार माँ-बाप का सपने में आना मेरे लिए छोटू का ख्याल रखना ----छोटू का ख्याल रखना---- कहना मुझे विचलित कर दे रहा था !!! यह सब सोचते सोचते पता नहीं कब आख लगी सुबह हो गया! सवेरे की पहली किरण से नींद खुल गई उठ गया । मुझे रात भर नींद नहीं आई मैं सोचने लगा कि मैं क्या करूं !मैं कैसे कहूं ?फिर मैं देखता हूं मेरा गांव में एक कमरा मेरा होता है ।मैं अपने कमरे में जाता हूं कमरे का दरवाजा खोलता हूं देखता हूं सारी चीजें वैसे ही व्यवस्थित है । छोटू की पत्नी ने किसी सामान को छुआ तक नहीं है मेरी पत्नी का बेड था ।सिंगारदान सब सामान वैसे ही है मैं पूनम को याद करने लगता हूं तभी मैं देखता हूं कि एक छोटा सा बक्सा रखा रहता है। जिसमें ताला बंद होता है वह पूनम का बक्सा था वही उसको खोलती बंद कर दी थी मैंने कभी ध्यान ही नहीं दिया पता नहीं क्यों? आज मन में उत्सुकता हुई कि इसमें क्या है? मैं बाहर से एक ईटा लेकर आता हूं और ताला तोड़ देता हूं ताला तोड़कर मैंने खोला मैं देखता हूं!! उसमें उसने मेरी शादी के समय के पहनी हुई कपड़े रखे थे मेरा और उसका शादी का जोड़ा था!!! मैंने न जाने क्यों ? अपना कुर्ता उठाया और शीशा के सामने खड़ा होकर उसे पहनने का प्रयास करने लगा? तभी मेरे कपड़े से कुछ लपेटा हुआ गिरता है !!!क्योंकि पेपर में लपेटा हुआ रहता है मैं उसे उठाता हूं तो देखता हूं एक पास बुक है! मैं ध्यान से देखता हूं उसमें इतने पैसे थे जितने में मेरा काम हो सकता था !यह मेरी पत्नी और मेरे नाम से था मैं देखकर न जाने क्यों ? अपनी पत्नी की चुनरी को गले से लगाकर बहुत देर तक वही खाट पर बैठकर रोता रहता हूं !!फिर छड़ी उठाकर गांव की तरफ जाता हूं । मन में तरह-तरह के विचार आ रहे होते हैं !मैं सोच रहा होता हूं "आज मुझे बहुत काम करना है" सबसे पहले तो मैं छोटू को दिखाऊंगा हॉस्पिटल ले जा करके? पोस्ट ऑफिस पहुंचकर पास बुकमें जितने पैसे होते हैं सब पैसे निकाल आता हूं ! तुरंत अपने बेटा राज को फोन करता हूं "राज मैंने सब कुछ बेच दिया "जितना मेरे हिस्से में था" बेटा !बहुत ज्यादा पैसा तो नहीं मिला !क्योंकि ?जल्दी-जल्दी में जमीन की ज्यादा कीमत नहीं मिलती !!मगर मैंने बेच दिया "बेटा मैं वापस आ रहा हूं । राज बहुत खुश हो जाता है। बोलता है "यह सही किया आपने पापा !!छोटू चाचा से तो वैसे भी हम लोगों को कुछ नहीं मिलता है आप जल्दी से जल्दी वापस आ जाइए ,!मैं बोलता हूं ठीक । तुरंत मैं छड़ी लेकर घर पहुंचता हूं रास्ते में बनिया की दुकान से मैं बहुत से खाने-पीने के सामान लेता हूं जितनी सामान बन पड़ती है ।मैं सब सामान लेता हूं। मैं घर पहुंचता हूं । वहां जाकर मैं उसके दोनों छोटे बच्चों से बोलता हूं किस स्कूल में पढ़ते हो दोनों बताते हैं ।कि पापा मैं स्कूल पढ़ने नहीं जाते हैं ! मैं उन दोनों बच्चों को ले जाता हूं पास के लिए विद्यालय में नाम लिखवा आता हूं ।बच्चों को किताब कापी दिलाता हूं ।उसकी पत्नी के लिए कुछ कपड़े छोटू के लिए कुछ कपड़े लेता हूं। फिर मैं घर वापस पहुंच जाता हूं। मैं छोटू की पत्नी से कहता हूं आज घर में अच्छा ,अच्छा ,खाना बनाना !पूरी बनाना 'खीर बनाना, कढ़ी बनाना ,चावल बनाना , जो छोटू को पसंद है तुम्हें पसंद हो वह सब खाना बनाना । मैं छोटू को हॉस्पिटल से दिखा कर लाता हूं ।मैं छोटू को पास के हॉस्पिटल में दिखाता हूं जहां मुझे पता चलता है कि छोटू के शरीर में खून की अत्यधिक कमी की वजह से वह इतना कमजोर है ।मैं उसे दवाइयां देकर घर वापस आता हूं। फिर मैं छोटू को बताता हूं "छोटू मैंने यहां की सारी संपत्ति सब कुछ तुम्हें दे दी है !मेरे हिस्से का जो भी था वह सब तुम्हारा है। ! मैं तुमसे कभी कुछ भी नहीं लूंगा यह दोनों बच्चों को पढ़ा लिखा कर योग्य बनाओ !!जो तुमने नहीं किया वह बच्चे करें "तुम्हें किसी प्रकार की कोई जरूरत होगी तो मुझे बताना मैं यहां के डाकघर में तुम्हारा; तुम्हारी पत्नी ;के नाम से खाता खोल रखा है । उसमें मैं जब तक जीवित हूं कुछ ना कुछ पैसा डालता रहूंगा।तुम अपने बच्चों की पढ़ाई अच्छे से कराना मैं यहां दोबारा कब आऊंगा!! यह तो मुझे पता नहीं!!! अब शायद ही आ पाऊंगा! मैं अब राज के साथ जा रहा हूं क्योंकि मुझे भी अपने बेटा बहू के साथ ही रहना पड़ेगा। उम्र के इस मोड़ पर मैं अपने बच्चों का विरोध नहीं कर पा रहा हूं। यह सुनकर पता नहीं क्यों छोटू रोने लगा ,,फिर मैंने उससे कहा "अब मेरा ट्रेन का समय हो रहा है " मैं अपना सामान पैक करके स्टेशन की तरफ जाने लगा "छोटू मेरे हाथ से मेरा बैक पकड़ लेता,,,, है और मेरे साथ चलने लगता है स्टेशन पर ट्रेन के आते ही न जाने क्यों? छोटू मेरे गले लग कर बहुत रोने लगा ,मैं भी रोने लगा मन ही मन सोच रहा था मैंने कुछ तो छोटू के लिए किया माँ बाप ने मुझे इतना बोला था। मुझसे जो बन पड़ा मैं अपने भाई के लिए किया । भगवान इस जीवन में हर वह खुशी दे जो यह ना पा सका ।मैं भाग्य तो नहीं बदल सकता ! परंतु कुछ मदद अवश्य कर सकता हूं । वापस जाने के लिए ट्रेन में बैठ गया अभी ट्रेन कुछ ही दूर चली थी तभी मुझे किसी ने बताया कि सैदपुर आ गया मुझे यह नाम सुनकर के कुछ याद आने लगा यही मेरी पूनम का मायका है ! मैं पूनम को याद करने लगता हूं कि आज इस मुसीबत की घड़ी में उसने मुझे एक बड़ी मुसीबत से बचाया है ,,,,,मेरी उसने बहुत मदद की ,,,फिर मैं याद करता हूं कि जब भी वह गांव आती थी पास ही में मेरा ससुराल है ।जब भी अपने मायके जाती थी मुझसे कुछ न कुछ पैसे लेकर जाती मैं पूछता था क्या करती हूं ?इतना पैसे तो वह बोलती थी! आपके पैसे पर मेरा भी हक है ,,,,मैं जो भी करूं आपसे क्या ? मैं हंसकर यह सब बातें उससे पूछता था क्योंकि मुझे अच्छा लगता था! अब मुझे लगा कि मेरी पत्नी पैसे बचा कर डाकघर में जमा करती थी ।और वह पैसा आज मुझे काम आया जब मैं एक बहुत बड़ी दुविधा में फंसा हूं !!मैं उम्र के इस मोड़ पर कुछ नहीं कर सकता सक्षम होते हुए मैं लाचार महसूस कर रहा था ।इस समय पूनम ने मेरी बहुत बड़ी सहायता की मैं दिल से अपनी पत्नी का कृतज्ञ हो गया ,,,,,फिर मैं सोचने लगा कि क्या परिवार में सिर्फ पति ,पत्नी, और बच्चे ,ही परिवार का हिस्सा होते हैं ।परिवार में भाई ,और भाई, का परिवार ,क्या ?वह परिवार नहीं है ? उसके लिए मुझे नहीं कुछ करना चाहिए ।जबकि मेरा भाई इतनी मुसीबत में है ।मेरी इस भावनाओं को कोई नहीं समझ सकता,, सिवाय मेरे और मेरी पत्नी पूनम के ,,,मेरे बच्चे मेरी इस बातों को नहीं समझेंगे मुझे उनको समझाना भी नहीं है । क्योंकि जो मेरा कर्तव्य है जो मुझे करना है ,,,वह मैं ही करूंगा!! जैसे ही ट्रेन सैदपुर से आगे निकली न जाने क्यों पूनम को याद करके मैं रोने लगा !!आंखों से आंसुओं की धार रुकने का नाम नहीं ले रही थी -‐मैं शब्दों के माध्यम से उसका आभार कैसे व्यक्त करूं !!!!मैं तो अपनी पत्नी का कृतज्ञ हो गया हूं,, स्वरचित लेखिका पूनम मिश्रा