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जिंदगी अच्छा सबक दी है

कुमार किशन कीर्ति 24 May 2023 कविताएँ समाजिक तन्हाई, जीवन 6557 0 Hindi :: हिंदी

एक दिन सहसा...।
मेरी कानों में आकर धीरे से,
बहती हवा ने कहा"क्यों खामोश
बैठो हो?जरा मुझे बताना।"
सुनकर यह सवाल,
मैं पहले सहम गया।
क्या जवाब दूँ!
मैं सोच में पड़ गया।
तब,बहती हवा और हसीं 
वादियों से मैंने कहा"जिंदगी
अच्छा सबक दी है,बस यही
सोच रहा हूँ।
क्या खोया,क्या पाया
इसी उलझन में डूबा हुआ हूँ।"
तब,बहती हवा मुस्कुराई।
मानो मेरी बात वह समझ पाई।
"जिंदगी जो दे,उसे लेना सीखो।
यही सच्चाई है, इसी में जीना सीखो।"
यही बात बहती हवा मुझे बताई।

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