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मुन्ना और खरगोश की दोस्ती-मुन्ना छोटा बच्चा है

Chanchal chauhan 21 Aug 2023 कहानियाँ बाल-साहित्य 27881 0 Hindi :: हिंदी

मुन्ना छोटा बच्चा होता है ।वह दूसरी क्लास में होता हैं।उसके घर में उसके मम्मी पापा और उसकी एक छोटी बहन होती हैं। मुन्ना का परिवार गरीब होता हैं। मुन्ना सरकारी स्कूल में पढ़ता हैं।वह स्कूल गांव से बाहर ही होता हैं। स्कूल के रास्ते पर एक बड़ा सा बरगद का पेड़ पड़ता हैं।वहां पर एक छोटा सा खरगोश रहता था ।जैसे ही मुन्ना उस पेड़ के पास पहुंचता था।वह खरगोश उसके पास आ जाता था।वह उसके पैरों में पड़ जाता था।उछल कूद करता था। मुन्ना भी उसे गोद में उठा लेता था।उसके साथ खेलता था। दोनों बड़े ही खुश रहते। मुन्ना कुछ ना खरगोश के खाने के लिए लाता था।कभी बिस्केट अपनी थोड़ी रोटी भी खिला देता था।एक दिन उस पेड़ के नीचे दो चोर आते हैं रात का समय था।वे कहीं से चोरी करके आ रहे थे उनके पीछे पुलिस पड़ी थी।वे उस पेड़ के नीचे खोदकर जो चोरी किया खजाना था वह वहां पर दबाकर भाग जाते हैं।
खरगोश सब देख रहा था ।सुबह हो जाती हैं। मुन्ना स्कूल आता हैं वह उस पेड़ के नीचे आता हैं।तभी तेजी से भागकर खरगोश आता हैं उसकी पेन्ट पकड़कर वहां खींचकर ले जाता हैं जहां पर खजाना दबा हुआ था। खरगोश अपने पंजों से वहां की मिट्टी हटाया हैं।ख़ज़ाने तक खोद देता हैं। वह खजाना दिखने लगता हैं। मुन्ना झांक कर देखता हैं तो एक पोटली बंधी होती हैं। उसमें कुछ सोने की चीजें बाहर निकली हुई थी चमक रही थी। मुन्ना देखकर चौंक जाता हैं। मुन्ना जल्दी से घर जाता हैं उनको सब बताता हैं।उसके मम्मी पापा उस पेड़ के नीचे आ जाते हैं।वह उस खजाने को निकालते हैं वह गरीब थे पर उनके मन में कोई लालच नहीं था।वह उस खजाने को लेकर पुलिस थाने पहुंच जाते हैं। पुलिसथाने में चोरी की रिपोर्ट थी।चोरी जहां से हुई थी वह बहुत बड़ा सेठ था।उसकी कोई संतान नहीं थी। पुलिस वाले उस सेठ को फोन करते हैं।वह सेठ वहां आ जाता हैं। पुलिस उसका खजाना लौटाते हैं मुन्ना और उसके मम्मी पापा भी वहां होते हैं।सेठ उनका धन्यवाद करता हैं और आधा खजाना उनको देने लगता हैं इनकी वजह से ही मिला हैं। मुन्ना के मां-बाप मना करते हैं।वह सेठ बोलता हैं,"वैसे भी मैं क्या करूं इन धन दौलत का कोई बरतने वाला नहीं हैं।इस बच्चों को ही अपना बेटा मानकर दे रहा हूं।और आप मेरे घर पर रह सकते हो मैं अकेला ही रहता हूं मेरी शहर बहुत बड़ी कोठी हैं मेरा मन नहीं लगता।अगर ऐसे आपको अच्छा ना लगे मेरा कारखाने में वहां काम कर सकते हो । मुन्ना के पापा ने हां बोल दिया ठीक हैं  शहर में उनके बच्चों का जीवन भी सुधर जायेगा।सेठ उनको अपना पता देता हैं वहां से चला जाता हैं।सुबह होती हैं मुन्ना खरगोश के पास जाता हैं।उसे अपने घर ले आता हैं।वह खरगोश अकेला ही रहता था, उसकी मां मर गई थी।वह सब शहर में सेठ के घर पहुंच जाते हैं।वह सेठ मुन्ना को अपना बेटा मानता हैं,उसको अच्छे स्कूल में पढ़ाता है कोई कमी नहीं रखता खाने पीने पहनने ओढ़ने में उसके परिवार भी वहां कोई परेशानी नहीं होती सब खुशी से रहने लगते हैं।सेठ की जिंदगी में खुशी आ जाती हैं।उनकी सेठानी भी बहुत लाड़ से रखती उन दोनों बच्चों को। मुन्ना की उसकी बहन की बड़े होकर सरकारी नौकरी लग जाती हैं।

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