राणा प्रताप कुमार 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य 29958 0 Hindi :: हिंदी
आयी घर में नंही सी गुड़िया। लगती प्यारी प्यारी सी परियाँ। इसके ओठ है फूलो के पंखुरिया। जो है सबकी सखी सहेलिया। कभी रोती है कभी हँसती हैं। कभी सोती है तो सोने में हँसती हैं। भुख लगे तो रोती गाती। पेट भरे तो सदा मुस्कुराती। देख प्रकाश को टक टक ताकती। कभी हाँ हाँ कभी हुँ हुँ करती। ना जाने किससे बाते करती। सब के मन को आकर्षित करती। पुरब से पश्चिम के हो जाये। उत्तर से दक्षिण के हो जाये। क्या क्या शरारत करती गुड़िया। जिसका नाम रखा हुँ जापानी गुड़िया। लेखक -राणा प्रताप कुमार आजमगढ़ उत्तर प्रदेश। मो0न0 - 7347379048