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सभापति की मिमिक्री-राज्यसभा के सभापति

virendra kumar dewangan 13 Jan 2024 आलेख राजनितिक political 3111 0 Hindi :: हिंदी

भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास में यह पहली शर्मनाक व आपत्तिजनक घटना है कि किसी राज्यसभा के सभापति, जो उपराष्ट्रपति होने के नाते भारत के दूसरे संवैधानिक पद पर विराजमान हैं, उनकी 19 दिसंबर 2023 दिन मंगलवार को संसद के गेट पर उस सदस्य के द्वारा मिमिक्री की गई, जो अशोभनीय व अमर्यादित आचरण के चलते राज्यसभा से पूरे सत्र के लिए निलंबित हो चुका था।

विचाारणीय पहलू यह कि मिमिक्री उनकी की जाती है, जो हंसी के पात्र होते हैं या उनकी जिनके माध्यम से समाज व देश को कोई संदेश देना होता है। वह भी किसी कामेडियन द्वारा या स्कूल-कालेज के बच्चों के द्वारा, वह भी ऐसे मंचोें पर जहां इसकी अहमियत और उपादेयता हो।

पर, राज्यसभा के सदस्य कल्याण बनर्जी द्वारा संसद के गेट पर मिमिक्री करना यही दर्शाता है कि उन्हें संविधान के प्रति निष्ठा से कोई सरोकार नहीं है। क्या देश के उपराष्ट्रपति हंसी के लायक हैं, जो राष्ट्रपति की लंबी बीमारी, गैर मौजूदगी या पदच्युति के दरमियान राष्ट्रपति का पद संभालने के काबिल होते हैं।

ऐसा अमर्यादित आचरण सरासर संवैधानिक पदधारी का अपमान है, जो महज चिढ़ाने, अपनी खीझ निकालने व अपमानित करने के लिए किया गया प्रतीत होता है।

इसमें भी सर्वाधिक दुःखद पहलू यह भी कि संसद परिसर के गेट की सीढ़ियों पर जब तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य कल्याण बनर्जी सभापति जगदीप धनखड़ की बोलने की शैली व देहभाषा की नकल उतार रहे थे, तब वहां मौजूद तमाम विपक्षी नेता ठहाके लगा रहे थे और कांग्रेस के स्वनाम धन्य नेता राहुल गांधी वीडियो बना रहे थे।

विपक्षी सांसदों का ऐसा रवैया उन्हीं के लिए नुकसानदेय साबित होनेवाला है; क्योंकि कोई समझदार व शिक्षित नागरिक ऐसे कृत्य की प्रशंसा हरगिज नहीं कर सकता।

घटना पर आपत्ति दर्ज करते हुए सभापति महोदय ने कहा है,‘‘यह किसानों व जाटों का अपमान है। विपक्षी सांसदों का यह आचरण शर्मनाक है। आज हमें विरोध का सबसे निचला स्तर देखने को मिला है। गिरावट की भी हद होती है।’’

वैसे संवैधानिक पदों पर बैठे हुए शख्सियतों का निरादर करना विपक्षियों को पहला रवैया नहीं है। इसके पूर्व भी प्रधानमंत्री सहित राज्यपाल, ईडी, सीबीआई, आईटी, निर्वाचन आयोग व न्यायपालिका से जुडे़ हुए व्यक्तियों पर भांति-भांति का कटाक्ष किया जा चुका है। प्रधानमंत्री पर तो गालियों का शतक लगा चुके हैं ये लोग।

ऐसे में सहज में समझा जा सकता है कि विपक्षी पार्टियों की मानसिकता क्या है और ये किस कदर निम्नस्तरीय राजनीति करने पर उतारू हैं?

अब, विपक्षी नेता सहित खड़गेजी लाख सफाई देते फिरें, इससे कुछ होनेवाला नहीं है। देश की जनता ऐसे मिमिक्रीबाज व नाटकबाज नेताओं को पहचान चुकी है, जिसका खामियाजा आगामी चुनावों में उन्हें भुगतना पड़ सकता है।
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आलेख पढ़ने के लिए हार्दिक धन्यवाद। कृपया अधिकतम फालो, लाईक, कमेंट व शेयर करने का कष्ट कीजिए।

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