Komal Kumari 25 Apr 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत 8841 0 Hindi :: हिंदी
मुझको बदला नहीं किसी ने.. खुद मैं बदल गई, खुद ही फिसल गई थी मैं.. अब खुद ही संभल गई, नहीं रहा सहारा किसी का, हमदर्द मैं खुद के लिए बन गई, यह दुनिया मुझे समझे ना समझे ..मैं अब खुद को समझ गई, जिन पर किया था भरोसा कभी, वह भरोसा मैं खुद बन गई, मुझको बदला नहीं किसी ने, खुद मैं बदल गई, खुद ही फिसल गई थी मैं, अब खुद ही संभल गई।
#Mujhko pasand hai khud Ko hi padhna ek kitab hai mujhmein Jo mujhe aajmati hai. @ham Apne jivan ka...