भावना उपाध्याय 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत #satyta #google #साहित्य #मन की बात # ज़िंदगी #thought # मां 36863 0 Hindi :: हिंदी
मां शब्द सुनने में कितना अच्छा लगता है ना, अपनेपन का एहसास कराता है ना। प्यार तो सभी करते हैं इस जहां में, पर मां दुलार करती हैं ना।। साथ रहते हुए मां की अहमियत कोई समझ पाया ना, दूर हुए तो मां सा मिल पाया ना। लिखने को तो हजारों पन्ने कम पड़ जाए, हकीकत में मां को बयां कर पाए कोई ना।। मां है तो घर है, मां को यूं सताओ ना। एक बार मां के बिना रहकर देखो, मां सा कोई मिल जाए तो कहना।। कैसे में लिखूं तुझे मां, हर शब्द तुझसे कम ही है। बस एक बार फिर से मां, गोद में अपने सुला दे ना मां।। स्वरचित - भावना उपाध्याय बागेश्वर