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भूल हुई उसे भुला दे आगे स्मरन सुधार कर

Mk Rana 11 May 2023 कविताएँ अन्य #MK Rana 7256 0 Hindi :: हिंदी

भूल हुई उसे भुला दे आगे स्मरन सुधार कर!
डुबती नाईया लौट आएगी  हरियाली की साख पर!!

अभी क्या हो रहा है उस पर कुछ विचार करो!
उजाला ही हमें दुःख देती है अंधेरा चैन की नींद उसे भी दीदार करो!!

पर साथ छुपा है दोनों में इस पर पुनर विचार कर!
परिश्रम में ही सफलता छुपा है इसे भी स्वीकार कर!!

हो प्रधान तुम प्राकृतिक जीवों में तेरे जैसा कोई नहीं!
तुम नहीं कर सकते बना प्राकृतिक में ऐसा कोई काम नहीं!!     
                                     
                     Poem by - Mk rana

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