Ranjana sharma 09 Nov 2023 ग़ज़ल दुःखद एकबार मेरे कब्र पर आजा#Google# 3917 0 Hindi :: हिंदी
कब्र पर मेरे एकबार सनम तू आजा जीते जी तो वक़्त ना दिया कभी अब तो आजा देख कितना दूर चली गई मैं अब तो शिकायत भी ना कर पाऊंगी मैं अपने हाथों से एक फूल तो चढ़ा जा एकबार मेरे कब्र पर आजा कितना कहती थी तुझको मैं बहुत छोटी सी है जिंदगानी अपनी इस व्यस्त जीवन में कभी तो हमें भी याद कर लिया करो सनम पर तुमने मेरी एक ना सुनी अब तो मुझे अपने गले से लगा जा एकबार मेरे कब्र पर आजा ना धन की जरूरत है मुझे ना चांदी - सोने की ,ना कोई सजना - संवरना ,ना ही कोई गाड़ी - घोड़े की,मुझे तो जरूरत थी सिर्फ तुम्हारी और तुम्हारे कीमती वक़्त में से कुछ पल की पर वो भी नहीं मांग सकती मैं अब तो देदे वक़्त जरा सा एकबार मेरे कब्र पर आजा मंदिर - मस्जिद अब टेक ले जितनी दुआएं चाहें लाख कर ले जो वक़्त निकल गया वो वक़्त ना अब आएगा और हम ना नजर आयेगें क्या फिक्र अब है तुझको पैसे से वो वक़्त खरीद लें अब तो मेरी खैरियत पूछने आजा एकबार मेरे कब्र पर आजा धन्यवाद🙏