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कब बदलोगे सोच तुम-बढ़ते दिव्य प्रकाश

संदीप कुमार सिंह 17 Jan 2024 कविताएँ समाजिक How to write poem's? How to published articles?How to learn video making? 4563 0 Hindi :: हिंदी

कब बदलोगे सोच तुम,बढ़ते दिव्य प्रकाश।
मोहन जैसे मुख लगे,माखन करिए प्राश ।।

कब बदलोगे सोच तुम,मिले खुशी जब खूब।
सभी चाह भी पूर्ण हो,बनिए अरु महबूब।।

कब बदलोगे सोच तुम,पाए फिर नव जान।
बची लखन की जान तब,कारण थे हनुमान।।

कब बदलोगे सोच तुम,होगा मीठा चाव।
दुष्ट भाव को दूर कर,रखिए भव्य प्रभाव।।

कब बदलोगे सोच तुम,गारत का हो अन्त।
रहे अमन तब देश में,भारत में हो सन्त।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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