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भूल गए सब प्यार-ऐसा कैसे हो गया लूट गए परिवार

संदीप कुमार सिंह 05 Oct 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 9518 0 Hindi :: हिंदी

#विधा:_कुंडलिया छंद
#"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत" 
ऐसा कैसे हो गया,लूट गए परिवार।
 संशय में ही सब रहे,भूल गए सब प्यार।।
भूल गए सब प्यार,डाह को रखते मनमें।
करके खुद नुकसान,रोग को पाले तनमें।।
कहते कवि संदीप,समय अब आया कैसा।
मिलता है मक्कार,आज बहु जन है ऐसा।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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