संदीप कुमार सिंह 13 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4914 0 Hindi :: हिंदी
(मुक्तक छंद) खिलौना जानकर दिल से वे किसी के खेलते हैं। ऊंची ख्वाब दिखाकर धरा पर पटक छोड़ देते हैं। बहाने भी बड़े_बड़े वे आजमाते हैं बेमतलब शताते यहां_ फितरत में उसके गंदी बातें_गंदी सोचें भरे होते हैं। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....