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खाली सी एक शाम

Maushami 17 May 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत शाम # खामोश # तन्हाई #उम्मीद 4771 0 Hindi :: हिंदी

एक शाम, खाली सी एक शाम,
जब अंधेरा छाया, मन में छाए उदासी का रंग।
रात के संग, सन्नाटे में ढूंढे,
कुछ सहारा, कुछ रोशनी, कुछ अपने   सपनों के रंग।

दिल की धड़कनों में, एक खामोशी है,
छाई धुंध की मदहोशी है।
क्या कोई सुनेगा, मेरी तन्हाई की आवाज़ ?
या खामोशी ही है मेरा आगाज़?
पर अंधेरे से लड़कर, मैं चल पड़ा हूँ,
उजाले की ओर, अपने आपको लेकर।

खुद से जुदा होकर, खुद को खोजता हूँ,
क्या है मेरा मकसद, क्या है मेरा ध्यान?
शायद यह शाम, खाली सी एक शाम,
मुझे खुद से मिलाए, अपने सपनों के नाम।

हर इक सांस में, एक नई उम्मीद है,
ढूंढ़ते रहे, खुद को, नये रास्तों के लिए।
यह खाली सी शाम, बस एक मौका है,
खो जाए ना, ज़िंदगी, इस बेबस अंधेरी रात में।

उम्मीद की एक किरण, चल पड़ा है पुकार,
खाली सी शाम को, मैं भर दूं रौशनी से प्यार।
दिल में उठी हर आस, बनाए रहेगी रौशनी,
खाली सी शाम, करेगी खुद को जीने का वादा।

यह शाम रंगीन बनाए, सपनों की हर तस्वीर,
ख्वाहिशों को समेट चली मन को चीर,
शाम खाली सी एक शाम।

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