सरोज कसवां 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 26196 0 Hindi :: हिंदी
""पापा की परी से जिम्मेदार बहुएं बन जाती है बेटियां थोड़े से काम में थक जाने वाली पूरे घर को सम्भाल लेती है बेटियां पापा के बेशुमार पैसे खर्च करने वाली एक एक पैसा जोड़ना सीख लेती है बेटियां "" पापा के घर में कुछ n सुनने वाली । ससुराल में सब कुछ सुन लेती है बेटियां !! सरोज कसवां