Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

धर्म की दीवार

राकेश 26 May 2023 कहानियाँ समाजिक धर्म की दीवार, धार्मिक कट्टरपंथी, सबसे बड़ा सत्य मृत्यु, भाईचारा 7567 0 Hindi :: हिंदी

शर्मा जी और खान साहब जवानी से आपस में नफ़रत करते-करते बूढ़े हो हो गए थे। उनकी कट्टर दुश्मनी के किस्से पूरे गांव में मशहूर थे।

दिन में एक बार दोनों जरूर एक दूसरे के घर के आगे से किसी कुत्ते बिल्ली या किसी अन्य जानवर के ऊपर रखकर एक दूसरे के घर के सामने से गंदी गंदी गालियां देकर जरूर  निकलते थे।

एक दिन शर्मा जी जिस बस से हरिद्वार गंगा स्नान करने जा रहे थे,तो उस ही बस में खान साहब भी अपनी बेटी की ससुराल जा रहे थे।

बस में सारी सीटें भरी होने की वजह से मजबूरी में दोनों को बस की एक ही सीट पर बैठना पड़ता है। 

एक साथ एक ही सीट पर बैठने के बाद शर्मा जी को ऐसा महसूस होता है कि वह सीधे नरक में प्रवेश कर गए हैं। और खान साहब को भी ऐसा एहसास होता है कि वह जहन्नुम में पहुंच गए हैं। 

बस चलने के कुछ देर बाद ही शर्मा जी को बहुत तेज प्यास लगने लगती है, तो वह अपना बैग खोलकर देखते हैं, तो उनके बैग में उनकी पत्नी बहू में से किसी ने भी उनके बैग में पानी की बोतल नहीं रखी थी।

बस के अंदर वह किसी से पानी लेकर इसलिए नहीं पीना चाहते थे, कि पता नहीं कौन किस धर्म जाति का स्त्री-पुरुष है।

इसलिए वह कंडक्टर से कहते हैं कि "ड्राइवर से कह दो कि मुझे पानी पीना है, इसलिए पांच मिनट के लिए बस कहीं ऐसी जगह रोक दे, जहां पीने के लिए पानी मिल जाए।

लेकिन ड्राइवर कंडक्टर को डांटते हुए कहता है कि "तुझे पता तो है हम पहले ही बस अड्डे से बस लेकर देर से निकले हैं। और दस किलोमीटर बाद एक ढाबे पर चाय नाश्ते के लिए बस रुकेगी ही।"

सारे यात्री शर्मा जी की तरफ देखने लगते हैं। इसलिए वह ड्राइवर से कुछ भी कहे बिना चुपचाप अपनी सीट पर ही बैठे रहते हैं।

और पांच मिनट बाद शर्मा जी को चिढाने के लिए खान साहब अपने बैग से पानी की बोतल निकाल कर उसमें से एक एक घूंट पानी धीरे-धीरे पीने लगते हैं।

शर्मा जी किसी तरह अपना गुस्सा शांत करते हैं। और एक-दो घंटे बाद ड्राइवर बस एक ढाबे पर रोकता है।

तो शर्मा जी ढाबे पर देखते हैं कि ढाबे वाला ग्राहकों को मांस मछली आमलेट बना बना कर खिला रहा है। शर्मा जी को पता था कि खान साहब जरूर ढाबे पर मांस मछली या आमलेट खाएंगे।

इसलिए शर्मा जी खान साहब और बाकी यात्रियों के सामने ड्राइवर कंडक्टर से चिल्ला चिल्ला कर कहते हैं कि "मैं हरिद्वार गंगा स्नान करने जा रहा हूं। इसलिए कहीं शाकाहारी ढाबे पर बस रोको।"

कंडक्टर ड्राइवर बस के बाकी यात्री भी शर्मा जी की इस बात से सहमत हो जाते हैं। इसलिए ड्राइवर तीन किलोमीटर आगे बस को ले जाकर शाकाहारी ढाबे पर रोक देता है।

शाकाहारी ढाबे पर पहुंचने के बाद शर्मा जी के चेहरे की मुस्कान देखकर खान साहब के तन बदन में आग लग जाती है। क्योंकि उन्हें पता था कि शर्मा जी ने यह सारी चालाकी इसलिए दिखाई है कि मैं उस ढाबे से मांस मछली ना खा पाऊं।

सात आठ किलोमीटर चलने के बाद बस एक पुल के बीचो-बीच खराब हो जाती है। उस पुल के नीचे से नदी बह रही थी। 

बस ठीक होने में समय लगता इसलिए सारे यात्री बस से उतर जाते हैं, और बस से उतरकर पुल पर खड़े होकर नदी और इधर-उधर के नजारे देखे लगते हैं। 

पुल के किनारे ₹10 का नोट पड़ा हुआ था। उस नोट को जैसे ही शर्मा जी उठाते हैं, तो खान साहब कहते हैं कि "इस ₹10 के नोट को मैंने आपसे पहले देखा है। इसलिए ₹10 का नोट मेरा है।"

इस बात को लेकर दोनों में बहस होने लगती है और दोनों बहस करते करते मरने मारने पर उतारू हो जाते हैं। और दोनों लड़ते-लड़ते पुल के नीचे तेज बहती नदी में गिर जाते हैं।

और जब नदी में डूबने से दोनों का दम घुटने लगता है, तो दोनों एक दूसरे की मदद से अपनी अपनी जान बचाना चाहते हैं। और दोनों को जब ऐसा महसूस होने लगता है कि नदी में डूबने से मौत निश्चित है, तो वह दोनों मिलकर नदी में डूबने से बचने की कोशिश करने लगते हैं। 

मिलकर कोशिश करने की वजह से शर्मा जी और खान साहब नदी में डूब कर मरने से बच जाते हैं।

नदी के किनारे पर आने के बाद दोनों नदी से बाहर निकल कर एक दूसरे के गले मिलकर कहते हैं कि "जब मौत से पहले मनुष्य का दम घुटता है, तो उसे धर्म जाति नहीं दिखाई देती। उसे सिर्फ यह दिखाई देता है कि बस किसी तरह उसकी जान बच जाए जान बचाने वाला चाहे किसी भी धर्म जाति का हो और जब हमें इस दुनिया में हमेशा रहना ही नहीं तो धर्म जाति की लड़ाई का क्या मतलब।"

और उस दिन के बाद शर्मा जी खान साहब पक्के मित्र बन जाते हैं।

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

लड़का: शुक्र है भगवान का इस दिन का तो मे कब से इंतजार कर रहा था। लड़की : तो अब मे जाऊ? लड़का : नही बिल्कुल नही। लड़की : क्या तुम मुझस read more >>
Join Us: