संदीप कुमार सिंह 13 Jun 2023 कविताएँ समाजिक प्रकृति पर सुन्दर कविता 4917 0 Hindi :: हिंदी
पानी की उठती लहर मैं देख रहा था, और मन ही मन सकूं भी पा रहा था। समुंद्र की वह लहर बड़ी मस्ती में थी, और उसकी ध्वनि भी कमाल की थी। समुंद्र किनारे मेरा घूमना, और उनकी लहरों को देखना। रोमांचित कर देती थी, और एक सोच को पैदा करती थी। कुदरत के लिए लब पर वाह_वाह के शब्द आते थे, और अपने जन्म पर गर्व होता था। फिर से कुदरत को शुक्रिया कहता, और उस लहरों में खो जाता। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....