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घडी

Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य घडी 4619 0 Hindi :: हिंदी

ये वक्त ठहर जा दो घडी 
मैं साथ में चलने बाला हूँ 
तू क्यों जल्दी में रहता हैं 
मेरा काम थोड़ा अभी बाकि हैं 
कुछ सांस् बचे खत्म कर लु 
फिर तेरे साथ ही तो चलना हैं 
सफर ही तो तैये करना हैं 
फिर काहे की जल्दी हैं 
ये वक्त तू कुछ यैसा कर जा 
मेरा मंजिल तेरा सफर हो 
और मेरा सफर 
अस्तित्वहीन हो जाये 
ये वक्त ठहर जा दो घडी 
तू क्यों भागते रहता हैं 

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