Samar Singh 01 May 2023 गीत दुःखद सुबह उठकर देखा तो चारों तरफ घास व पेड़ों पर ओस की बूँदें पड़ी थी, तो लगा कौन किसकी याद में रात भर रोया है। 6897 0 Hindi :: हिंदी
रात बीतती चली गयी, सुबह होकर भी शाम में बदल गयी। यह कैसा है मुहब्बत का फसाना, जो थी अपनी कहानी, गैर के नाम में बदल गई।। चाँद था प्यारा तो ग्रहण लग गया, सूरज की लाली मन को क्या भाती? हर शबनम किसी के आँसू हैं, सारे सितारे भला इतने बूँद कहाँ से लाती।। जिसे मोती समझा था, वह शबनम की एक बूँद निकली। मेरे ही अफ़साने मेरे हाथों से, छूटकर मेरे सामने कूद चली।। बादलों के परों से उड़ता था, गिरा हूँ घायल हो जमीं पर, । तब बरसात में भी मचलता था, पागल था उनकी हँसी पर।। सर्द हवाएं क्या बयाँ करेंगी, एक दिवाने की दास्तां। खामोशी से सिल जायेंगे, इस आसमाँ की भी ज़ुबाँ।। रचनाकार - समर सिंह " समीर G "