RAJESH KUMAR PAL 08 Apr 2023 कविताएँ समाजिक 7114 1 5 Hindi :: हिंदी
फ़र्श से अर्श तक छाने लगी हैं, देखो बेटियाँ मेडल लाने लगी हैं। तड़के सुबह जो चौका बर्तन, घर में करती सबकी चिंतन; हर दुविधा को आईना दिखाने लगी हैं, देखो बेटियाँ मेडल लाने लगी हैं। ज़िम्मेदारियों की बोझ इतना बड़ा है, इन बेटियों ने भी खूब लड़ा है; कदम अपने कदमों से मिलाने लगी हैं, देखो बेटियाँ मेडल लाने लगी हैं। समर्पण अभिमान त्याग भक्ति, कभी ललकारती है इनकी शक्ति; अपनी डोलियों से सरहद तक जाने लगी हैं, देखो बेटियाँ मेडल लाने लगी हैं। वजूद मातृशक्ति का किसी साँचे में ढला नहीं, कौन ऐसा वीर है जो गर्भ में पला नहीं; अपनी शक्ति का दर्शन कराने लगी हैं, देखो बेटियाँ मेडल लाने लगी हैं।। राजेश कुमार पाल
Academical Qualification- Graduate in English Literature, Post Graduate Diploma in Computer Applicat...