Meenakshi Tyagi 04 Sep 2023 आलेख समाजिक भारतीय अभिभावक .. अपने बच्चे को थोड़ा और समय दे और फिर स्कूल भेेजें। 12948 0 Hindi :: हिंदी
आज का विषय-- शिक्षक और शिक्षा । सर्वप्रथम जब बच्चे विद्यालय जाने के लिए पहली बार तैयार होते हैं तो उन बच्चों के मनोभाव कैसे होते हैं ? ज्यादातर बच्चे रोते हैं, दुखी रहते हैं। दुखी रहते हैं तो उन पर मानसिक दबाव भी होता है। क्यों? क्या आपने सोचा है? मुख्य कारण बच्चे अपनी माता से पहली बार अलग हुए हैं और विद्यालय में सभी अपरिचित हैं वे वहां किसी को नहीं जानते, हां यह एक मुख्य कारण है पर क्या एक कारण यह नहीं है कि बच्चों को समझ आने से पहले ही एक अपरिचित जगह पर भेज दिया जाता है। समझ आने से पहले का मतलब है कि जब बच्चे २ या ढाई वर्ष के होते हैं तभी उन्हें उनके स्वाभाविक विकास से निकालकर उनके गले में टाई और कमर में बेल्ट यानी यूनिफॉर्म में जकड़ दिया जाता है और बची हुई कमी कंधों पर एक बैग और पानी की बोतल गले में लटका कर पूरी कर दी जाती है और भेज दिया जाता है उन्हे स्कूल। २ वर्ष की आयु के बाद भी बच्चों को सबसे अधिक मां की ही आवश्यकता होती है बच्चों के स्वाभाविक विकास को चाहे वह मानसिक हो या शारीरिक मां जितनी अच्छी तरह से कर सकती है वह कहीं और बिल्कुल भी नहीं हो सकता है इस उम्र में बच्चे की जो सबसे अच्छी शिक्षिका मां बन सकती है वह कोई और नहीं बन सकता और विचारों की जो शिक्षा एक मां अपने बच्चे को दे सकती है वह उसे कहीं और नहीं मिल सकती बच्चा घर पर मां और परिवार के साथ रहकर इस दुनिया की सबसे गहन शिक्षा प्राप्त करता है। हां बाहर जाकर साल भर तक बच्चा एबीसीडी या फिर 1,2 या अन्य कई चीज सीख सकता है पर यह सब चीज़ सीखने में बच्चों को 1,2 साल 3 साल भी लगा सकते हैं इन सब चीजों को बच्चा थोड़ा बड़ा होने पर बहुत ही कम समय में सीख लेता है। सबसे पहले बच्चों का मानसिक विकास हो शारीरिक विकास हो उन्हें अच्छी तरह से समझाया जा सके कि स्कूल क्या है ?और क्यों उन्हें स्कूल भेजा जा रहा है? जब उन्हें इस बात की समझ आएगी तो वह स्वयं ही खुशी से स्कूल जाएंगे और बहुत ही अच्छे से सब कुछ सीखेंगे जब वह बिना दुखी हुए स्कूल आएंगे तो उन पर कोई मानसिक दबाव नहीं रहेगा और उनके सीखने की प्रक्रिया बहुत ही अच्छे से चलेगी और वह कम समय में ही बहुत कुछ सीख लेंगे। पर आज इस प्रतियोगिता से भर समाज में छोटे-छोटे बच्चों को ही इस वातावरण में झोक दिया जाता है सिर्फ अच्छा जॉब और स्टेटस यही मानसिकता बच्चों के मस्तिष्क में भर दी जाती है बच्चों ने बचपन ठीक से देखा भी नहीं और एबीसीडी की रट शुरू हो जाती है। बिना अच्छे विचारों के बिना अच्छे संस्कारों के एक अच्छे जॉब और स्टेटस का क्या लाभ? इसलिए बच्चों को थोड़ा समय और दे और फिर स्कूल भेजे। एक दो या ढाई वर्ष की आयु के बच्चे को मां और परिवार जो सीख सकते हैं वह बच्चा कहीं और कभी भी नहीं सीख सकता- अच्छे विचार,अच्छे संस्कार और नैतिकता। मां इस दुनिया की सबसे अच्छी शिक्षिका और मां के द्वारा दी गई शिक्षा इस दुनिया की सबसे मूल्यवान शिक्षा। सोचिए और बताइए...... धन्यवाद🙏🙏