Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

इस बड़े शहर की भीड़ तूँ ,मेरे अधूरे ख़यालों की रीढ़ तू ….

Ritvik Singh 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद #google #yahoo#bing 78463 0 Hindi :: हिंदी

इस बड़े शहर की भीड़ तूँ ,मेरे अधूरे ख़यालों की रीढ़ तू 
कभी सूखे में गिरी बारिश तूँ , तों कभी ख़ाली हवेली की वारिश तू
कभी पहाड़ों की ठंडी हवा तू ,  तों कभी बिना मर्ज़  दवा तूँ 
कभी  दिन का पहर तू , तों कभी समय की लहर तूँ 
कभी टूटा मकान तूँ , तों कभी मोहब्बत की छोटी सी दुकान तूँ 
कभी क़िस्मत की लकीर तूँ , तो कभी मँझहार पे खड़ा फ़क़ीर तूँ
कभी शाम के  किनारे पे बैठा लुहार तूँ , तों कभी उसकी गुहार तूँ 
कभी  बीता हुआ ज़माना तूँ , तों कभी किसी का लिखा अफ़साना तूँ 
गर्म सुबह की धूप तूँ , एक अनजाने का रूप तूँ 
कभी क़लम की स्याही तूँ , तों कभी सफ़र में चलता राही तूँ 
कभी सूखे निवाले तूँ , तों कभी हाथों में पड़े छाले तूँ 

मिट गया मैं ए-ज़िंदगी , अब चारों तरफ़ यें छीड़  तूँ 
इस बड़े शहर की भीड़ तूँ ,मेरे अधूरे ख़यालों की रीढ़ तू 

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: