Jyoti yadav 04 Oct 2023 कविताएँ समाजिक आज जी भरकर सोऊंगी 10067 0 Hindi :: हिंदी
क्या करूं मैं इस नींद का यह आती बहुत है चलो आती तो आती पर आजमाती बहुत है हर रोज सोचती हूं आज जी भरकर सोऊंगी पर अफसोस ख्वाब सोने नहीं देते और कमबख्त नींद, ख्वाब को मुकम्मल होने नहीं देते ज्योति यादव के कलम से ✍️