Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक अग्नि कुंड में 49113 0 Hindi :: हिंदी
बस तुम्हे जलना होगा तपति अंगार पे चलना होगा देना होगा अग्नि परीक्षा फिर से तुम्हे सहना होगा क्या स्त्री ही वार वार सत्यता का परिचय देगी डर डर के या मर मर के सुलगती आंच में जलना होगा समाजिक प्रताड़णो कटु बचनों को अब तुम्हे भी मेरे ही जैसा सहना होगा इस बार तुम्हे भी अग्नि कुंड में कूदना होगा