Rambriksh Bahadurpuri 01 Jun 2023 कविताएँ बाल-साहित्य #Rambriksh Bahadurpuri #Rambriksh Bahadurpuri Ambedkar Nagar #Rambriksh Bahadurpuri kavita #Kavi Rambriksh Bahadurpuri #Ambedkar Nagar poetry #Ambedkar Nagar kavi 6548 0 Hindi :: हिंदी
यदि होता नभ का पंछी मैं यदि होता नभ का पंछी मैं दूर गगन उड़ जाता, नन्हें नन्हें उड़-पंखों से गगन घूम कर आता। फुदक फुदक कर खुशियों मन से चीं- चीं चूं- चूं गाता ऊपर नीचे कभी झुण्ड में उड़ता ही रह जाता। कोई आता मुझे पकड़ने मुझे पकड़ ना पाता नीले पीले लाल सुनहरे बादल में छिप जाता। न चिड़ियाघर न कोई सरकस कैद कौन कर पाता अपने मन का उड़ता फिरता नहीं पकड़ मैं आता। एक बात मैं समझ न पाऊं समझ समझ रह जाता छोड़ धरा कैसे रह पाऊं धक धक दिल घबड़ाता। कहां? बनाता घर अपना मैं कैसे !भूख मिटाता , किस आंगन में दाना चुगता रैना कहां बिताता। खट्टे मीठे प्यारे प्यारे कहां वहां फल पाता, किस तरु के डालों पर अपने सुंदर नीड़ बनाता। एक बात आ गया समझ में बनकर नभ का पंछी कभी धरा पर कभी गगन में बजती मन की बंशी। रचनाकार- रामबृक्ष बहादुरपुरी अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश 9721244478
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...