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बेरोजगार की हार-रोकर बीत रही जवानी घरवाले भी अब ताने देते

Km Shalini 25 Sep 2023 कविताएँ समाजिक #बेरोजगारी#ताने#क्या करें 16966 0 Hindi :: हिंदी

हर बेरोजगार की, यही कहानी,
रोकर बीत, रही जवानी।
घरवाले भी अब, ताने देते,
हमें ही पता है, हम कैसे जीते।
सर्परूपी समाज भी, डसने को तैयार है,
हर जगह बेचारे, बेरोजगारों की हार है।
कोई उनका, दर्द न समझता,
उल्टा उन पर, तंज जो कसता।
रिश्तेदार भी भला, कहां हैं पीछे,
चाहते हैं वो भी, हमसे रहें ये नीचे।
शिक्षा का जैसे जैसे प्रसार हुआ है,
क्यूं फिर ये समाज नीचे गिरा है।
इंसानियत का धर्म, भूल गए सब,
भावनाओ की कद्र, रही नहीं अब।।

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