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कर्म पर कविता-कर्म सही तो कल सुधरेगा

Rambriksh Bahadurpuri 09 May 2023 कविताएँ समाजिक #Rambriksh #rambriksh Bahadurpuri #Rambriksh Bahadurpuri kavita #Rambriksh Bahadurpuri Ambedkar Nagar #ambedkar Nagar poetry #ambedkar Nagar kavi 6135 0 Hindi :: हिंदी

कविता -कर्म सही तो कल सुधरेगा 

कर्म सही तो कल सुधरेगा
जीवन का हर पल सुधरेगा
पथ पर यदि बढ़ता जाएगा
आज नही तो कल सुधरेगा। 

जीवन की है यह सच्चाई 
एक समस्या सौ कठिनाई
कठिन भले हो पथ कितना भी 
हर मुस्किल का हल निकलेगा। 

डर डर कर कब तक जीएगा
दुख का विष कब तक पीएगा
बन चट्टान तोड़ पत्थर को
पत्थर से भी जल निकलेगा। 

भरो निराशा ना जीवन में
झांको देखो अपने मन में 
प्रश्न खड़े चाहे जितने हो
हर प्रश्नों का हल निकलेगा। 

बारुदों के ढेर बिछे हैं 
जिस पर सारे लोग खड़े हैं
बनके खुद अपनों के दुश्मन
सोचों? क्या प्रतिफल निकलेगा। 

नही बदल पाया गर खुद को
छोड़ नहीं पाया यदि जिद को
तन मन से कीचड़ ही कीचड़
दिल में भी दल दल निकलेगा। 

पैर खींचता अपना कोई
फिर कैसे बढ़ सकता कोई!
क्यों ना बढ़ो बढ़ाओ सब को
तब जन जन निश्छल निकलेगा। 

अपने मन का भेद मिटाओ
एक एक ग्यारह बन जाओ
भूला है हनुमान बना क्यों?
तुझमें ही सब बल निकलेगा। 


रचनाकार -रामबृक्ष बहादुरपुरी अम्बेडकरनगर यू पी

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