राहुल गर्ग 05 May 2023 शायरी समाजिक 6903 0 Hindi :: हिंदी
फूल बिना परफ्यूम के महकता है तारा बिना सूरज के दमकता है कपड़ो की परवाह तुझे क्योँ हो रूप तो तेरा साड़ी में भी चमकता है उंची इमारतों में नही हूँ , पर चढ़ना मुझे आता है जिंदगी की इन कठिनाईयों से लड़ना मुझे आता है मै कोई कवि नही पर बनना जरूर चाहता हूँ क्योंकि शब्दों के इस मायाजाल को समझना मुझे आता है दुनिया के हर भूखे को एक थाली आना चाहिए हर फूल की हिफाजत को माली आना चाहिए रावण द्वारा नित्यरोज जब सीताहरण होने लगे तब कलयुग में भी ललकार को बाली आना चाहिए