संदीप कुमार सिंह 02 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5712 0 Hindi :: हिंदी
(रोला छंद) चले न कोई जोर, करे मन हरदम अपना। फिर भी अपनी सोच, पूर्ण करना है सपना।। रखता सदा विवेक,तभी रहता मन काबू। चलता अपनी राह, कहे मुझको सब बाबू।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....