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जूते की कहानी

Aniket 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग लेखिका : वीना शर्मा By : आदर्श शिक्षा इंस्टीट्यूट 12944 0 Hindi :: हिंदी

एक बार एक राजा अपने राज्य का मुआयना करने के लिए पैदल ही भेष बदलकर राज्य के लोगों से मिला। इस कार्य मे रात हो चुकी थी।

बहुत सारे कंकड़ पत्थर राजा के पैरों में चुभ गए थे।

राजा जब महल में पहुंचा तो राजा के पैरों में बहुत ही दर्द हो रहा था। उस समय पैरों में पहनने के लिए कुछ खास उपाय नहीं थे।

अब राजा ऐसी युक्ति सोचने लगा जिससे कि सबके पैर बचे रहें। तभी उसे एक युक्ति सूझी और उसने अगले दिन सभा बुलाई। राजा अपने मंत्री से सबके सामने कहने लगा,

” पूरे राज्य की सड़कों को चमड़े की परत से ढक दिया जाए।”

   राजा का मंत्री इस आदेश को सुनकर चकरा गया क्योंकि इस कार्य मे बहुत अधिक मेहनत, चमड़ा और रूपये खर्च होने वाले थे। लेकिन राजा के सामने मुंह खोलता तो उसे ही डाँठ मिलती इसलिए वह चुप खड़ा था।

Hasya Katha Moral Part- उसी सभा मे एक समझदार मंत्री बैठा हुआ था। वह अपनी जगह से खड़ा हुआ और चतुराई से  बोला,” महाराज आप की आज्ञा हो,

और आपको इस कार्य मे कुछ धन बचाना हो तो एक बात कहूँ!”

महाराज ने आज्ञा दी।

मंत्री बोला, ” महाराज! आपको इतना धन सड़को पर खर्च करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

आप सड़को को चमड़े से लीपने की बजाए चमड़े के एक छोटे टुकड़े का प्रयोग अपने पैरों के लिए क्यों नहीं करते! इससे धन भी बचा रहेगा और आपके पैर भी।”

राजा को मंत्री का विचार पसन्द आया और राजा ने अपने दुज़रे मंत्री को जूता बनाने का कार्य सौंप दिया। और कहा जाता है तब से ही चमड़े का जूता अस्तित्व में आया।

सीख | सब तरह के लाभ और हानियों को देखते हुए ही भविष्य की चिंता कर के ही निर्णय लेने चाहिए।

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