Jitendra Sharma 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मैं जल हूं। जितेन्द्र शर्मा मेरठ, जितेन्द्र शर्मा परीक्षितगढ। 87653 1 5 Hindi :: हिंदी
कविता- मैं श्वेत धवल शीतल जल हूं! रचना- जितेन्द्र शर्मा तिथी- 31/01/2023 मैं जल हूं! मैं श्वेत धवल हूं शीतल हूं। मैं जल हूं! मैं जल हूं। नभ से झर कर इस तप्त धरा पर, स्वयं को खोकर सुख पाता हूं। मैं अजर अमर मैं जीवन हूं, जन जन की प्यास बुझाता हूं। मैं दोष रहित हूं, निर्मल हूं। मैं श्वेत धवल हूं, शीतल हूं। मैं जल हूं! मैं जल हूं। कल कल छल छल नदियां बनकर, सुख पाता हूं बहने में। हिम खण्ड रहुं या वाष्प बनु, निर्लेप हूं सबकुछ सहने में।। आनन्दित मैं हर इक पल हूं, मैं श्वेत धवल हूं शीतल हूं, मैं जल हूं! मैं जल हूं। लालायित हूं गतिमान हूं मैं, जलधाम में जाने को। अनन्त सागर में मिलकर खुद अनन्त हो जाने को।। मैं लहरों का संबल हूं, मैं श्वेत धवल हूं शीतल हूं। मैं जल हूं! मैं जल हूं। *** सम्पूर्ण
1 year ago