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यह भीगता कागज

कविता पेटशाली 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत 69687 0 Hindi :: हिंदी

यादों की पुरवाई लौटती है,न ,जब ।
भीगता है,इक साफ सा कागज ,।
और कुछ आहत ऐसी बरसती है,।
जो एकाएक टपकती है ,और बरसती है,।
मगर यह नहीं रूकती किसी शहर, और भीगा जाती है,इक साफ़ सा कागज,।
तब कहीं कहती हैं,।इक कविता ,।
तुमने ,जाना ,भी ,तो ,मुझे आधा अधुरा,।
कैसे ठहर जाता कागज पर मेरा घर,।।
कविता पेटशाली 









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