Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

गुरू माँ

Divya Kumari 19 Mar 2024 कविताएँ समाजिक 2605 0 Hindi :: हिंदी

गुरू माँ
जो एक नहीं सौ सौ बच्चों को अपना सा मानती हैं
वो माँ नहीं गुरु माँ कहलाती हैं
वो माँ नहीं गुरु माँ कहलाती हैं
सब पर एक जैसा प्यार लुटती
अपनत्व से सबको पास बुलाती
गलती करने पर डांटती तो समझाती भी हैं
हमें विषय के साथ साथ व्यवहार भी सिखाती हैं।
अपने प्यार से सबको अपना बनती हैं
वो माँ नहीं गुरु माँ कहलाती हैं
वो माँ नहीं गुरु माँ कहलाती हैं
कभी कक्षा तो कभी वृक्ष के पास हम greet करते
वो हमें अपनो बच्चे जैसे treat करते
ऐसे ही नहीं कोई बिना गर्व धारण किए माँ बन पाती हैं
वो माँ नहीं गुरु माँ कहलाती हैं
वो माँ नहीं गुरु माँ कहलाती हैं

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: