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तुम्हारे लिये।

Jitendra Sharma 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत तुम्हारे लिये, विरह गीत। शिकायत। शिकवा। 6510 0 Hindi :: हिंदी

कविता- तुम्हारे लिये।
रचना- जितेन्द्र शर्मा
तिथी- 21/01/2023
निवेदन- प्रस्तुत पंक्तियां नायक के ह्रदय की पीड़ा है एक कृतघ्न नायिका के लिये।मैं इस पीड़ा को प्रकट कर पाया हूं या नहीं। निर्णय आपका।
 
कविता-

तुमको अपना बनाया, तुम्हारे लिये।
राज सबसे छुपाया, तुम्हारे लिये।
मैं शिकवा शिकायत करूं कोन सी,
मैंने सब कुछ गंवाया, तुम्हारे लिये।

तुमसे रिश्ता निभाया, तुम्हारे लिये।
अपनों को भुलाया, तुम्हारे लिये।
तुमने उनसे से वफ़ा की ए हमदम मेरे,
जिनको दुश्मन बनाया, तुम्हारे लिये।

सारे सपने बुने थे, तुम्हारे लिए।
हमने कांटे चुने थे, तुम्हारे लिए।
दांव अन्तिम लगाया तेरी चाह पर।
ज़ख्म अपने गिने थे, तुम्हारे लिये।

हम तुम्हारे हुए हैं, तुम्हारे लिए।
सबसे न्यारे हुए हैं, तुम्हारे लिये।
ज़ख्म ऐसे दिये है ए कातिल मेरे।
सबकुछ हारे हुए हैं, तुम्हारे लिए।

जो पाया था खोया, तुम्हारे लिए।
रातों में भी ना सोया, तुम्हारे लिए।
चांद तारों पे बसना था चाहा मगर,
देख उनको ही रोया, तुम्हारे लिए।

गम को गम से गिला था, तुम्हारे लिए। 
हर इक सिलसिला था, तुम्हारे लिए।
फूल मुरझा गया आज पतझड़ में वो,
मेरे दिल में खिला था, तुम्हारे लिये।

जितेन्द्र शर्मा, मेरठ 9719663440

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