Jyoti yadav 13 Jan 2024 ग़ज़ल समाजिक उड़ा दे मुझे इन हवाओं में 5432 0 Hindi :: हिंदी
मै पतंग तेरी तु बन जा डोर मेरी उड़ा दे मुझे इन हवाओं में सैर कर लूं गर्दिश की चांद को मांग लाऊं अपनी दुआओं में दुर होके हमें ललचाता है हाथ नहीं ए आता है कभी आधा तो कभी पुरा अलग अलग रुप दिखाता है नजारा देखूं इक बार मैं पास से तमन्ना है मेरी बचपन ♥️ से उतार लाऊंगी तस्वीर सांसें कहती धड़कन से होके मस्ती में मस्त मलंग रंग घोलने दे फिजाओं में मैं पतंग तेरी तु बन जा डोर मेरी उड़ा दे मुझे इन हवाओं में ज्योति यादव के कलम से कोटिसा विक्रमपुर सैदपुर गाजीपुर उत्तर प्रदेश 🙏♥️