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हमारी अधूरी कहानी

Suraj pandit 21 Apr 2023 कहानियाँ प्यार-महोब्बत Love 9266 0 Hindi :: हिंदी

वह दीन मुझे याद हैं जब उससे पहली बार बात हुई थीं। उस दीन  मेरा एग्जाम था। जानते हों हमलोगो के प्यार में मजेदार बात किया हैं। हमलोग फ़ोन पर हीं मोले थे। यानि पहली बार फ़ोन पे हीं बात हुई थीं। मैं उस दीन कुछ शायरी video कों अपने व्हाट्सअप में shear  कर रहा था। तो उस समय एक message आया। hello पहचाने! मैं कुछ समझ नहीं सका! मैं व्यंग करतें हुए.. अपने relatives के नाम बताया , पर वह उनमे से नहीं थीं । वह बोली मैं पीहू हूँ।वह अपने बारे में बताई और धीरे-धीरे message पे बात होने लगी फ़िर call पे। ऐसे हीं हर रोज़ सुबह, दोपहऱ, शामों में बात होने लगी और यह बात न जाने कैसे और कब प्यार का रूप ले लीं, पता हीं नहीं चला।यूं घंटों-घंटों तक बातें होती रहती थीं समय का भी पता नहीं चलता था। कभी पापा के फ़ोन से तो कभी मोशी के फ़ोन से।बात हीं बात में इस कदर प्यार करने लगा जैसे मानो वहीं मेरा जीवन, वहीं धड़कन, वहीं  सब कुछ हैं उसके बिना एक पल कि कल्पना भी नहीं कर सकता था। अब मेरा एग्जाम ख़त्म होने कों चला था और उस month का last दीन हीं चल रहा था। उस दीन उससे सुबह में जब एग्जाम देने जा रहा था तब बात हुई थीं। जब मैं एग्जाम दे कर अपना रूम आया और उसे मैसेज किया पर कोई रिप्लाई नहीं आया। मैं उसका मैसेज का इंतजार कर रहा था। यूं हीं इंतजार में शाम हों गई। मैंने फ़िर मैसेज किया तब कुछ देर बाद रिप्लाई आई । उसका रिप्लाई, कौन? के साथ आया।मुझें लगा कि वह मज़ाक कर रहीं हैं, वह बोली मैं पीहू नहीं हूँ। मैं उस समय थोड़ा डर गया, और pasword पूछने लगा। हमलोगो का एक Pasword "true love" होता था जिससे यहा पता चल सकें कि मैं उससे हीं बात कर रहा हूँ क्योकि मैसेज में बात होता था जिससे पता नहीं चलता था कि कौन रिप्लाई कर रहा हैं इसलिए हमदोनो ने यह Pasword रखा था।तो उस रात पीहू से बात नहीं हुई।मैं बहुत रोया उस दीन। नींद हीं नहीं आ रहीं थीं। मेरे एक दोस्त, उसने मुझें साझाया। कहा उसकी कोई मज़बूरी होंगी इसलिए बात नहीं कर रहीं हैं वह आज नहीं तो कल मैसेज या कॉल जरूर करेगीं।
मैं उस रात बहुत रोया और दूसरे दीन,घर के लिए निकल गया। जब घर पहुंचा तो सब पहले जैसा हों गया। मैं अपने जिंदगी मे ख़ुश रहने लगा और पढ़ाई में उसके यादों कों भूल गया। फ़िर अचानक एक दीन अंजान नंबर से कॉल आया। जब मैंने फ़ोन उठाया तो उसकी आवाज़े सुनाई दीं।मैं पीहू बोल रहीं हूँ!भूल गए किया!उस समय मेरे चेहरे पर कुछ लग हीं ख़ुशी झलक रहीं थीं। मैंने कहा तुम्हे कैसे भूल सकता हूँ।उस समय कुछ देर तक बात हुई और फ़िर शाम कों उससे बात करने के लिए पार्क गया और वहाँ पर उससे बहुत सारे बातें की। उस दीन ऐसा लगा रहा था जैसे मेरे कों एक नई जीवन मिल गई हैं। फ़िर उस दीन से बात होनी शुरू हों गई और रोज़ कई घंटों तक बातें होती रहती। वह मुझसें इतना प्यार करती थीं कि मैं इसे लिख़ कर बया  नहीं कर सकता। मेरे लिए उसका प्यार जैसे मानो मेरा जीवन कों एक ऊर्जा से भर देती थीं । वह मेरा हर पल एक बच्चे के जैसा ख्याल रखती थीं।उसका मेरे जिंदगी में आना, मेरी पुरी जंदगी हीं बदल गई। अगर कोई काम करता रहता और उसका मैसेज आ जाता तो सब काम छोड़ कर सबसे पहले उसे हीं रिप्लाई देता था। कुछ बात तो थीं उसकी मैसेज में।जब भी रात कों उसका मैसेज आता तो न जाने नींद कैसे टूट जाती और रिप्लाई कर देता। जब मैं सोया रहता तो मुझें नींद से कोई नहीं उठा पता, किया हों रहा हैं मुझें सुनाई हीं नहीं देता लेकिन उसकी एक मैसेज से मेरी नींद कैसे टूट जाती पता नहीं चलता। मैं कितनी भी गहरी नींद में क्यूँ न हों फ़िर भी उठ हीं जाता,सिर्फ उसके एक मैसेज से। वह मुझमे इस तहर बस गई थीं जैसे मेरे प्राण हों।मैं उसे हर पल महसूस करने लगा था। अगर वह मुझसें मिलने आती तो मुझे यह बात पहले हीं पता चल जाता था। मैं उसे अपना भगवान मानता था। सुबह शाम उसकी तस्वीरों कों निहारा करता था।यह सिलसिला कुछ महीनों तक यूं हीं चली। कहते हैं न, हर प्यार में एक मोड़ आता हैं बस वहीं हुआ। दिसंबर के 24 तारीख से जिंदगी का पन्ना मुड़ने लगा। पीहू की व्यवहार में अब बदलाओ आने लगी थीं पीहू कों अब किसी और में रूचि होने लगी। वह अब उसीसे हीं बात करती थीं । अब तो मेरे से बात करने के लिए उसके पास समय हीं नहीं था। जब मैं पूछता तो कुछ न कुछ काम बता देती थीं। मुझें उस पर अपने से ज्यादा भरोसा था इसलिए मैं बिना कुछ सोचे उस पर विश्वास करतें गया। एक दीन जब मैं उससे इस विषय में पूछा तो वह झगड़ा करने लगी और फ़िर किया, ब्रेकअप कर लीं। मैं उस समय बहुत रोया। बहुत कोशिश कि की वह मुझे न छोड़े पर उसने मेरा नम्बर ब्लॉक कर दीं।मैं उसका घर भी गया। घुटने पे बैठ कर प्यार की भिख भी माँगी ,पर उसने मेरी एक न सुनी।मैं उस दीन से न तो अच्छा से खा सक रहा था और न हीं सो पा रहा था। बस  दीन रात आँशुओं कों छिपाते हुई,रोये जा रहा था। उसने कहा था की मैं हर पल तुम्हारे साथ रहूँगी। कोई साथ दे या न दे मैं हर पल साथ दूंगी। यह सभी वादे जब भी मुझें याद आता हैं न मैं अंदर से रो पड़ता हूँ।एक महीने के बाद वह मैसेज की,जब मैंने कारण पूछा तो उसने कहा - वह मुझें छोड़ दिया। तूम हीं अच्छे हों। माफ़ करना मैं तुम्हें नहीं समझ सकी। मैं उस समय उसकी अशुओ कों देखकर, मैं उसे फ़िर से स्वीकार कर लिया। क्योकि मैं नहीं चाहता था की वह रोये उसे अकेलापन महसूस हों। मैं सब जान रहा था उसके साथ किया किया हुआ हैं फ़िर भी मैं उससे उतना हीं प्यार करने लगा। यह सफऱ भी कुछ महीने हीं चला।वह फ़िर से किसी ओर से बात करने लगी। फ़िर से नंबर ब्लॉक हों गया। जब तक मैं अपने दिल कों संभालता तब तक उसका मैसेज आ कर मुझें अंदर से रोला देता। मैं उससे इतना प्यार करता था की उसकी हर गलती कों माफ़ करता रहा और छिप छिप कर रोते रहा।मैं उसे हर अच्छी बुरी बातों कों समझाया,पर वह मेरी एक भी बात नहीं समझी। मैं हर चोट कों दिल पे सहता रहता पर उसे मेरी यह आँशु भी नहीं देख रहीं थीं। मेरी स्थिती उस वक्त ऐसी थीं, न तो मर सकता था और न हीं जी सकता था। अब उससे बात नहीं होती हैं। अगर वह कभी भी मैसेज करती तो मैं पहले जैसी पीहू कों खोजता रहता जों सिर्फ मुझसें प्यार करती थीं। सच कहुँ मैं अभी भी उससे उतना हीं प्यार करता हूँ जितना पहले करता था बस थोड़ा यह दिल नराज़ हों गया हैं उसकी हरकतों से।अभी भी मैं रातो कों रोया करता हूँ।जब भी याद आती हैं तो अपने आप कों संभाल नहीं पता हूँ।अब तो बस दिल से एक हीं दुआँ निकलती हैं वह जहाँ भी रहे अच्छे से रहे।
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.                         --सुरज पंडित

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