Vishakha Sharma 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #Vish lekh 2314# 18476 1 5 Hindi :: हिंदी
एक नन्ही सी कली हूं, मां तेरे आंचल में ही पली हूं, सिर्फ एक इंसाफ के लिए चली हूं, वह इंसान जो हक है हमारा , फिर क्यों ? फिर क्यों ? नोच दिया जाता है जीवन हमारा , यूं तो भारत महान है हमारा , पर कुछ दरिंदों के कारण , शर्मसार हुआ है यह देश हमारा , इसको सुधारना कर्तव्य है हमारा, हम माँ है पत्नी है बहन है, हम ही अपनी शिक्षा से शिक्षित कर, इन हैवानों को इंसान बना कर, बचपन से ही इनको संस्कार देकर, महिला का सम्मान करना सिखा कर, इस देश का भविष्य बदलेंगे, हम ही इन हैवानो को, फिर से काली का रूप धारण करके सुधरेंगे। जय हिंद जय भारत