संदीप कुमार सिंह 27 Mar 2024 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता काफी रोचक है. जिसे पढ़ने के बाद पाठक गण वाह- वाह अवश्य ही करेंगे. 705 0 Hindi :: हिंदी
आओ प्यार के रंग में रंग जायें आज, जिन्दगी तब बन जाएगी अति खूब साज। रोना- धोना छोड़ दे जन - जन, आ खुशियों से आज रंग ले तन। क्यों डरे कोई किसी से लोग, अपने अन्दर भर लो नव जोश। उत्साह से उदासी का कर के नाश, और अब यह कहना छोड़ दे काश। राहों में गुनगुनाते बढ़ते चलो भाई, जिन्दगी हमें ऐसे ही रहे आजमाई। हवाओं से कह लेंगें हम साथ देते रहना, फ़िज़ाओं से कह लेंगें हम निभाते रहना। दिल मे मोहब्बत का रंग भर लें, और सबसे प्यार करना सीख लें। बुरा वक़्त आने में देर नहीं लगता, इसलिए सबको अपना बनाना सीख लें। देखा है हमने यहाँ कितनों को रोते, काटोगे वैसा ही जैसा हम बीज बोते। मिली असफलता से हमें सीखना चाहिए, फिर तो कोई भी शख्स खुद को नहीं खोते। जिंदगी बहुत बड़ी मायावी है, इनके रंग नाना प्रकार का है। कभी हँसाती है तो कभी रुलाती, जिंदगी को झेलना अद्भुत कला है। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....