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सबके दाता राम हैं हृदय बसा लें राम-सब प्रभु ही सम्हाल दें करें सरल हर काम

संदीप कुमार सिंह 18 Aug 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6265 0 Hindi :: हिंदी

सबके दाता राम हैं, हृदय बसा लें राम।
सब प्रभु ही सम्हाल दें, करें सरल हर काम।

सबके दाता राम हैं,रहें खुशी में यार।
गम को हम तूं मार दें,हरदम रखें जुगार।।

सबके दाता राम हैं, सबके पालनहार।
राम संग कर प्रीत तूं, सदा रहें उदगार।।

सबके दाता राम हैं, कण कण में है वास।
सर्व भेद को जान कर,करते पूरा प्यास।।

सबके दाता राम हैं, मन भज लें अब राम।
जन्म मरण से मुक्त कर,देंगें सही मुकाम।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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