Rambriksh Bahadurpuri 14 Mar 2024 कविताएँ समाजिक #Rambriksh Bahadurpuri #Ambedkarnagar poetry #milkar rahna kavita#Prerna dayak kavita 2295 0 Hindi :: हिंदी
मिल कर रहना एक गगन है एक चमन है एक है सूरज एक है चंदा एक हवा है एक है पानी जिसको पाकर जीवन अपना हम सूकून से जी पाते हैं? नहीं भेद है इनमें कोई आखिर फिर क्यों बटे हुए हम? ऊंच नीच और जाति पांति में रंग रूप और खानपान में कोस रहा मानव मानव को यह घोल जहर क्या पी पाते हैं? प्रकृति के हम खेल खिलौने अंश उसी के ताने बाने मानवता ही धर्म हमारा और धर्म तो धंधा है काम न आए जो मानव के आज बैठ वही धी खाते हैं। नर नारायण और ईश वह कर्मों से जो सच्चा है काम न आए कोई किसी के वह कैसे कि अच्छा है व्यक्ति वस्तु स्थान कोई हो स्वभाव सभी बतलाते हैं। मिल कर रहना एक साथ में सब हमको सिखलाते हैं। रचनाकार रामबृक्ष बहादुरपुरी अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...