बढ़ रही है खुनकी इस मोसम मे!
यार बता दे क्या है तेरे मन मे!!
याद कर रहा हूं चाय पिते-पिते!
खाश तुम भी संग होते इस मौसम मे!!
राते जो इतनी लम्बी हो रही है!
यार रोज़ आया कर सपने मे!!
चांद को देख कर याद तुझे कर लिया है!
कभी तूं भी टिमटिमाया कर सितारा बनके!!
बुंदे जो ठहर रही हैओस की!
यार झुलफे ना झटकना मदहोशी मे!!
खिल रहा चेहरा मेरे यार का है!
आ गया मौसम फिर से प्यार का है!!
मुस्कुराकर पागल मुझे वो कर गई!
तस्वीर छिपा ली है उसकी दिल मे!!
हाथ जो पकड़ा था उसने मेरा!
महक रहा हूं अब तक उसके प्रेम मे!!
बढ़ रही है खुनकी इस मौसम मे!
यार बता दे क्या है तेरे मन मे!!