मोती लाल साहु 14 Oct 2023 शायरी समाजिक ज़िंदगी से मोहब्बत बढ़ती गई 13528 0 Hindi :: हिंदी
अब देखो न- हाथ की लकीरें मिट गई, याकि देखते- देखते दृष्टि कम गई,, तकाजा-ए-उम्र है- जनाब, मौसम बदल गई, उम्र घटती- गई मोहब्बत बढ़ती गई....!!!! -मोती
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