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हे एकदंत- हे गजमुखा हे लंबोदर हे विनायका

Preksha Tripathi 24 Jun 2023 कविताएँ धार्मिक 9060 2 4.5 Other :: Other

हे एकदंत! हे गजमुखा! 
हे लंबोदर! हे विनायका! 
मुझ अज्ञानी की आह सुन
हे गणाधिपति गणनायका!! 

मेरे जीवन की विभावरी में
विधु सा धवल प्रकाश हो। 
ऐसी अनुकंपा की चाह है 
तुझसे हे सिद्धिविनायका!

जो जीवन तूने दिया हमें
उस जीवन को सन्मार्ग दे। 
करबद्ध निवेदन तुझसे है
त्रिभुवन के हे पथपग्नायका!! 

प्रेक्षा त्रिपाठी

Comments & Reviews

Deepika Tiwari
Deepika Tiwari Bhut hi shandar kvita h apki knha ki ho bhai tumse milna h

9 months ago

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VIVEK KUMAR PANDEY
VIVEK KUMAR PANDEY इतनी छोटी सी उम्र और इतना भव्य साहित्य सृजन..... शानदार

9 months ago

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