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संसद की सुरक्षा में सेंध- संसद के सुरक्षाकर्मियों की घटना

virendra kumar dewangan 31 Dec 2023 आलेख दुःखद Security of Parliament 3430 0 Hindi :: हिंदी

ठीक 13 दिसंबर को, जिस दिन 2001 में संसद पर पाकिस्तानी आतंकवादी हमला हुआ था, उसी दिन संसद के भीतर व बाहर दोपहरी को दहशत व अराजकता फैलाने के इरादे से पांच सिरफिरों के द्वारा स्मोक बम का प्रयोग करना, नारे लगाना और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में फटाफट प्रदर्शित करना यही दर्शाता है कि संसद के सुरक्षाकर्मियों ने 13 दिसंबर की घटना से कोई सबक नहीं लिया, जिस दिन लोकतंत्र के मंदिर पर प्राणधातक हमला हुआ था। 

इसमें आठ जवान सहित नौ लोग वीरगति को प्राप्त हो गए थे। जबकि सुबह-सवेरे बरसी के उपलक्ष्य में यहीं श्रंद्धाजलि सभाएं हुईं, जिसमें देश के गणमान्य व उच्च पदवीधारी शरीक हुए थे।

क्या यह एक इत्तफाक है या किसी सोची-समझी साजिश का हिस्सा, जो गहन तफ्तीश के उपरांत स्पष्ट हो सकेगा, लेकिन घटना ने साबित कर दिया कि जिस देश में लोकतंत्र की सर्वोच्च संस्था संसद की सुरक्षा में सेंध लगाया जा सकता है, वहां कहीं पर भी कुछ भी उल्टा-सीधा किया जा सकता है।

विचारणीय पहलू यह भी कि तब हमारी इंटेलिजेंस एजेंसियां कहां थीं? वे आसपास थीं, तो कर क्या रहीं थीं? यह भी जांच का मुद्दा होना चाहिए। कहा जाता है कि संसद की सुरक्षा में दिल्ली पुलिस सहित अन्य एजेंसियों के 1500 से 2000 जवान तैनात रहते हैं, पर तब वे कहां थे, जब संसद में घुसपैठ हो रहा था। 

यह तो ऐसा गया, जैसा आतंकवादी संगठन हमास ने इजराइल पर अचानक हमला बोल दिया, तब वहां की विश्वप्रसिद्ध जासूसी संगठन मोस्साद व इजराइली पुलिस व सेना को भनक तक न लगी थी।

इससे जहां इजराइल की सुरक्षा-व्यवस्था की पोलपट्टी खुल गई, वहीं संसद पर अचानक अफरातफरी मचने से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों पर प्रश्नचिन्ह लगाया जा रहा है।

दुनियाभर में बदनामी होने के बाद अब सुरक्षा एजेंसियों के द्वारा सतर्कता व सक्रियता दिखाई जा रही है और आठ सुरक्षाकर्मियांे को निलंबित कर दिया गया है। जगह-जगह सघन तलाशी ली जा रही है। पर, यह तो सांप गुजर जाने के बाद लकीर पीटने सरीखा हो गया।

संसद के विजिटर्स गैलरी में प्रवेश पा लेना किसी आमजन के लिए आसान काम नहीं होता। इसके लिए किसी सांसद की सिफारिश व सत्यापन चाहिए और तीन लेयर की सुरक्षा से गुजरकर प्रवेश लेना होता है दर्शक दीर्घा पर। 

लेकिन, संसद के भीतर रंगीन स्मोक क्रेकर का उपयोगकर्ता सागर शर्मा, जो यूपी के उन्नाव जिले का वाशिंदा है और मनोरंजन डी, जो मैसुरू के बीजेपी सांसद प्रताप सिन्हा और उसके सहायक को किस तरह से सेटिंग कर लिया कि उन्हें विजिटर गैलरी में आसानी से प्रवेश मिल गया। यह भी गहन जांच का विषय होना चाहिए। क्या सांसद के सहायक ने इनकी पड़ताल की या यूं ही इनके लिए सिफारिश कर दिया?

कहा जाता है कि संसद परिसर में नारेबाजी लगानेवाली महिला, जो ‘‘तानाशाही नहीं चलेगी, तानाशाही बंद करो और वंदे मातरम व भारत माता की जय’’ के नारे लगा रही थी, वह सीएए विरोधी तथा किसान आंदोलन के दौरान भी आंदोलनजीवियों के साथ सक्रिय भागीदारी निभाई थी। इसका नाम नीलम आजाद है, जो हरियाणा के जींद की रहनेवाली है। 

इसी महिला के साथ एक अन्य युवक अमोल शिंदे था, जो महाराष्ट्र के लातूर का निवासी है। वहीं, इनका चौथा साथी ललित झा है, जो वीडियो बना रहा था। आरोपित अन्य प्रदेशों में रहने के अलावा एक-दूसरे से चार साल से इंटरनेट मीडिया के मार्फत संपर्क में थे।

इनके अलावा गुरुग्राम से विक्की शर्मा व उसकी पत्नी राखी का नाम भी सामने आ रहा है, जिन्होंने इन्हें दरमियानी दिन के पूर्व रात को पनाह दिया था।

गनीमत यह कि उनके पास कोई प्राणघातक हथियार न था, अन्यथा संसद में अनर्थ हो जाता। इसके अलावा मौजूदा सांसदों की सराहना करनी होगी, जिन्होंने हिम्मत दिखाकर उन्हें पकड़ने का काम बखूबी किया और लात-घूसे भी चलाए।

आखिर इनका मास्टरमाइंड कौन है, जिसने सनसनीखेज षड़यंत्र रचा और थोड़े देर के लिए ही सही, सांसदों सहित देश को दहशत में डाल दिया? 

इन चारांे-पांचों दहशतगर्दों की माली-हालत ऐसी नहीं कि वे फ्लाइट से उड़ान भरें, महंगे होटलों में रुकें, जूतों में स्मोक क्रेकर बम छुपाने के लिए उसकी संरचना में बदलाव करवाएं और निरंतर यात्राओं में धन गंवाते फिरें। आखिर इनके पीछे कौन है, जिसने इन्हें मोहरा बनाकर इस्तेमाल किया?  यह पता लगाना सुरक्षाबलों का विशेष काम है। 

इन्होंने ‘भगत सिंह फेन क्लब’ का गठन कर रखा था, जिसे बाद में डिलिट कर दिया। सोचनीय पहलू यह भी कि क्रांतिवीर भगत सिंह ने क्या जनता के द्वारा निर्वाचित सरकार के खिलाफ एजेंबली में बमबारी की थी या उनने फिरंगी शासन के विरूद्ध क्रांति का शंखनाद किया था।

संसद में सनसनी व अफरातफरी फैलने के बाद आखिरकार सांसदों के विजिटर पास देने के अधिकार पर संसद ने रोक लगा दी है और सुरक्षा-व्यवस्था ऐसी कर दी है कि अब परिंदा भी पर नहीं मार सकता। इसके अलावा संसद की सुरक्षा अब भरोसेमंद एजेंसी सीआईएसएफ के जिम्मे कर दी गई है।
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आलेख पढ़ने के लिए हार्दिक धन्यवाद। कृपया अधिकतम फालो, लाईक, कमेंट व शेयर करने का कष्ट कीजिए।

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