akhilesh Shrivastava 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक समय के साथ साथ जमाने मे कितना बदलाव आया है 12737 0 Hindi :: हिंदी
*जमाना बदल गया* देखो हमारा जीवन केसे निकल गया परिवर्तन इतना हुआ कि ज़माना बदल गया।। उसको पकड़ सके न हम फिसलता चला गया ऐसी चली हवा कि मौसम बदल गया।। बच्चों में संस्कारों का अब मूल्य घट गया पश्चिमी सभ्यताओं का जो भूत लग गया।। आदर और आदर्शों का समय निकल गया। स्वार्थी हुआ इंसान अकेला ही रह गया।। संस्कारों के अभाव में आचरण बदल गया इंसान ही इंसान का अब दुश्मन बन गया।। इंसान अब तो आपसी रिश्तों को भूल गया सम्पत्ति ने सगे भाइयों का रिश्ता खत्म किया।। बच्चों को टी वी मोबाइल ने क़ैद कर दिया खेल के मैदानों से उन्हें दूर कर दिया।। हमने कच्चे घरों को पक्का कर दिया आपस के पक्के रिश्तों कच्चा कर दिया।। छोटे -बड़े अमीर-गरीब का बीज बो दिया प्यारे प्यारे रिश्तों मे जहर छिड़क दिया।। बदलाव ने इंसान को जानवर बना दिया इंसानियत का पाठ उसने भुला दिया।। रचयिता ---अखिलेश श्रीवास्तव जबलपुर ौ
I am Advocate at jabalpur Madhaya Pradesh. I am interested in sahity and culture and also writing k...