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शहीद संदेश

Santosh kumar koli 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक शहीद संदेश 77961 0 Hindi :: हिंदी

कारगिल युद्ध में भारतीय सैनिक, कई शत्रु सैनिकों को हताहत करता हुआ, अंत में घायल होकर धरती पर गिर जाता है तथा पवन के माध्यम से वह अपने घर संदेश भेजता है।

ले जा पवन संदेशा, मुझपर कर उपकार।
ताकि शांत चित्त से सो सकूं, माता का कर्ज़ उतार।

माता-पिता से मिलकर, दे संदेश हमारा।
अंतिम बार चरण स्पर्श, कर रहा लाल तुम्हारा।
घर का बुझ गया दीपक, हुआ घोर अंधियारा।
तम- निशा का नहीं सवेरा, अस्त हुआ आंखों का तारा।
तरू की शाखा सूख, चमन की गई बहार।
ताकि शांत चित्त से सो सकूं, माता का कर्ज़ उतार।
बहन के सिर पर रखना हाथ, बंधाना धीर।
नयनों से आंसू रोक, गया तेरा मां - जाया बीर।
तू हुई अभागिनी बहिन, तेरा फूट गया तक़दीर।
नहीं चुनरी उढ़ा सका, मुझे सता रही यह पीर।
तुझे बहुत आएगी याद, आए जब राखी का त्यौहार।
ताकि शांत चित्त से सो सकूं, माता का कर्ज़ उतार।
ले जा पवन संदेशा, मुझपर कर उपकार।

ताकि शांत चित्त से सो सकूं, माता का कर्ज़ उतार।
भार्या से कहना, एक आया काल का झोंका।
तेरी बिंदी ले गया साथ, नयन कजरा से कर गया धोखा।
अश्रु संग सिंदूर बहा, कर -कंगन लगे नहीं चोखा।
पत्ता टूटा डाल से,  आए न मिलन का अब मौक़ा।
क्षमा प्रार्थी तेरा, तेरी मैं नैया छोड़ी मझधार।
ताकि शांत चित्त से सो सकूं, माता का कर्ज़ उतार।
देशवासियों से कहना, तुम रखो वतन की शान।
इस देश की मिट्टी, तुम्हारा चाहती है बलिदान।
मेरे रक्त की हर बूंद, करती तुम्हें आह्वान।
शत- शत तुम्हें प्रणाम, मुझे अब दे दो विदा का पान।
संतोष शकल वतन, करता शहीदी सत्कार।
ताक शांत चित्त से सो सकूं, माता का कर्ज़ उतार।
ले जा पवन संदेशा, मुझपर कर उपकार।
ताकि शांत चित्त से सो सकूं, माता का कर्ज़ उतार।

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