कवि सुनील नायक 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य झिलमिलाते दीपक पर कविता 83171 0 Hindi :: हिंदी
दीपक झिलमिला रहा है एक हवा का आया झोका, अंधेरे को आने का मिला मौका, दीपक........ दीपक मैं बहुत था तेल और बाती, मैं छुपा लेता दीपक को नजर न आई हवा आती, दीपक....... दीपक बुझने वाला है पर मुझे भरोसा है फिर से तेल चढ़ेगा, जीवन की तनती सांसों की डोरी फिर से लूज होगी, दीपक......... होङ लगा रखी क्षितिज को पाने की, पर पता न चला समीर आने की, दीपक....... तेल न बचा दीपक मे बाती में चढ़ेगा कहां से, अब इस प्रकाश को जाना होगा इस जहां से, दीपक..... ना ना ना ना फिर से तेल चढ़ेगा बाती में, भगा अंधेरे को फिर से प्रकाश आएगा इस जीवन में, दीपक....... सागर में नाव डगमगाई है गिरी नहीं है, दीपक झिलमिला रहा है बुझा नहीं, दीपक झिलमिला रहा है। - सुनील कुमार नायक