Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

कमबख्त यह दर्द सत्ता का जोर है

Akshay kumar Meena 05 Nov 2023 कविताएँ राजनितिक कमबख्त यह दर्द सत्ता का जोर है कि हटता ही नहीं, दर्द है महंगाई का दोर है कटता ही नहीं।। अब तो बात अंत पर आ गई है, दर्द ए महंगाई मेरे सीने पर काल की तरह छा गई है।। उखाड़ फेंकेंगे उसे दर्द को , जो भूल रहा है अपने फर्ज को।। नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान ना चली। चला गया पूरा पैसा उनकी जेब में , घर पहुंचने को शामं ना बची।। शहर यह नया रहना सीख लेंगे । दर्द है नया सहना सीख लेंगे।। उगलते जहर है देखा उनको । जलते शहर देखकर परवाह नहीं जिनको।। गांव से नया आया हूं शहर में । यहां आकर पता चला जहर होता है इंसानों में, नहीं सांपों के जहन में।। न जाने लटक गए फंदे पर कितने किसान । पता नहीं सत्ता में बैठे भी है या नहीं इंसान।। 13065 1 5 Hindi :: हिंदी

कमबख्त यह दर्द सत्ता का जोर है कि हटता ही नहीं, दर्द है महंगाई का दोर है कटता ही नहीं।।
अब तो बात अंत पर आ गई है,
दर्द ए महंगाई मेरे सीने पर काल की तरह छा गई है।।
उखाड़ फेंकेंगे उसे दर्द को ,
जो भूल रहा है अपने फर्ज को।।
नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान ना चली। चला गया पूरा पैसा उनकी जेब में ,
घर पहुंचने को शामं ना बची।।
शहर यह नया रहना सीख लेंगे ।
दर्द है नया सहना सीख लेंगे।।
उगलते जहर है देखा उनको ।
जलते शहर देखकर परवाह नहीं जिनको।।
गांव से नया आया हूं शहर में ।
यहां आकर पता चला जहर होता है इंसानों में, नहीं सांपों के जहन में।।
न जाने लटक गए फंदे पर कितने किसान ।
पता नहीं सत्ता में बैठे भी है या नहीं इंसान।।

Comments & Reviews

Akshay kumar Meena
Akshay kumar Meena Thank you so much

3 months ago

LikeReply

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: