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पिता पर्वत के समान होता है- बाहर से कठोर अंदर से मुलायम होता है

NEM SINGH RAJPUT SARFIRA 08 Oct 2023 कविताएँ समाजिक 26101 1 5 Hindi :: हिंदी

पिता एक पर्वत के समान होता है 

 बाहर से कठोर अंदर से मुलायम होता है

 झुक जाता है तुम्हारी ख्वाहिशों के लिए 

क्योंकि उसको तुम्हारी 

बातों पर नाज होता है 

पिता एक पर्वत के समान होता है 

पिता की बात पिता ही जाने उसके दिल में
 
तुम्हारे लिए क्या अरमान होता है 

सह लेता है जीवन में दुख दर्द के कांटों को 

पर तुम्हारी आंखों में 

आंसू नहीं आने देता है

पिता एक पर्वत के समान होता है 

अपने कंधों पर बिठाकर तुमको जमाने का 

सत्य दिखलाता है 

खुद तो चलता है नंगे पांव कांटों पर 

पर तुम्हें जीवन का अर्थ सीख लता है 

पिता एक पर्वत की समान होता है

 जब निकलता है घर से 

अरमानों की गठरी लेकर

 रास्ते पर सवल सवल कर चलता है 

जब आती है यादें तुम्हारी 

तो कई कई बार पलट कर देख लेता है 

पिता एक पर्वत के समान होता है

Comments & Reviews

संदीप कुमार सिंह
संदीप कुमार सिंह बहुत खूब, लाजवाब।

5 months ago

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