Aarti Goswami 14 Apr 2024 कविताएँ अन्य रीत जगत की, विदाई कविता, 1540 0 Hindi :: हिंदी
"रीत जगत की" क्यों रीत जगत ने ऐसी बनाई खुद के ही घर से कर दी पराई अपनो से हो गई दूरी जीवन की ये कैसी मजबूरी बचपन का आंगन छुटा आंखो से जैसे कोई बांध टूटा हल्दी, मेंहदी और संगीत हैं ना जाने कैसी ये रीत हैं अपनो ने कर दी विदाई जीवन में ये कैसी जुदाई हर तरफ खुशियों शोर हैं पर मन तो कहता कुछ और हैं क्यों रीत जगत ने ऐसी बनाई खुद के ही घर से कर दी पराई ~आरती गोस्वामी✍️