संदीप कुमार सिंह 01 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5172 0 Hindi :: हिंदी
कुंडलिया दिवस मेरे मन की पीर को,समझो मेरे यार। करो प्रेम सब देश से,आपस में हो प्यार।। आपस में हो प्यार,वतन पे हम हैं मरते। बनूं धार तलवार,नहीं हम सब हैं डरते।। सहचर हूं दिलदार,प्रेम भर दूं दिल तेरे। सुरभित करूं समाज,अटल हैं विचार मेरे।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....